Monday, September 16, 2024

रेतीले गांव का मुख्य तालाब लड़ रहा अपनी अस्तित्व की लड़ाई, प्रशासन बेसुध!

जयपुर: बांसवाड़ा शहर से नजदीक लोधा गांव का मुख्य तालाब अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ता नजर आ रहा है. कभी अपनी सुंदरता के लिए जाना जाने वाला ये तालाब आज पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. तालाब को जलकुंभी ने अपना बसेरा बना लिया है. तालाब का पानी जलकुंभी द्वारा ढ़के होने के कारण पानी से इतनी दुर्गंध आ रही है कि तालाब के आसपास से गुजरना मुश्किल हो गया है. ये तलाब कभी लोधा गांव का मुख्य तालाब हुआ करता था. इसी तलाब के पानी से गांव वाले अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करते थे, लेकिन आज ये पूरी तरीके से बदहाल हो चुका है. जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इस तलाब को पूरी तरीके से नजरअंदाज किया जा रहा है. अपनी अस्वित्व बचाने के लिए मदद की गुहार में तलाब धीरे-धीरे अपनी अंतिम क्षणों की ओर बढ़ रहा है.

केमिकल युक्त पानी ने मार डाला तालाब को

तलाब की पाल के ऊपर सड़क का निर्माण किया जा चुका है. इस सड़क पर चलना भी खतरों से खाली नहीं है. सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गढ़े हो चुके हैं. इससे सड़क पूरी तरीके से जर्जर हो चला है. तलाब की जमीन के बड़े हिस्से का अतिक्रमण भी हो चुका है. इसके अलावा तलाब में केमिकल युक्त पानी भी छोड़ा जाता है, जिससे तलाब का पानी जहरीला बन चुका है. कुछ साल पहले तक इस तालाब की पानी को अपनी आम जरूरतों के हिसाब से लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था. लोग इस तालाब के पानी से नहाया करते थे, लेकिन आज के जो हालात हैं वो झकझोर देने वाले हैं. ग्रामीणों द्वारा तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कई बार ज्ञापन भी सौंपा गया है, लेकिन प्रशासन की लचर रवैये ने उन्हें निराश कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब तालाब पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका होगा.

प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया

इस मामले में पूर्व सरपंच प्रकाश बामनिया ने बताया की हमने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में यह बात पहुंचाई कि तालाब के आसपास गंदगी की अंबार लगी हुई है, लेकिन अधिकारियों ने इस बात की कोई सुध नहीं ली. ग्रामीणों ने यह मांग भी की कि जैसे शहर के दो तलाबों का जिर्णोद्धार किया गया है वैसे हमारे गांव के तालाब को भी बचाया जाए. हम भी चाहते हैं कि हमारे गांव का तालाब बच जाए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी. इसके साथ ही गांव के एक और युवक ने कहा कि हम कुछ साल पहले तक तालाब का इस्तेमाल किया करते थे, लेकिन आज जो स्थिति है वो बिलकुल विपरीत है.

Ad Image
Latest news
Related news