Sunday, November 24, 2024

गहलोत की बढ़ी मुश्किलें, नई आबकारी नीति नहीं आ रही रास

जयपुर: कल 23 फरवरी को शराब दुकानों की रिन्यूवल की अंतिम तिथि है, लेकिन अभी तक सिर्फ 64 फीसदी शराब की दुकानें ही रिन्यूवल हो पाई हैं. इस आंकड़े को देखते हुए लग रहा है कि नई आबकारी नीति शराब व्यापारियों को पसंद नहीं आ रही है. व्यापारी शराब की दुकानें रिन्यू कराने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं. प्रदेश में कुल 7,665 दुकाने हैं. लेकिन अभीतक राज्य की मात्र 4,914 दुकानें ही रिन्यूवल हो पाई हैं. अभी 2,748 दुकानें रिन्युवल होनी बाकी हैं. जयपुर जोन में 1758 में से 1114 दुकानें ही रिन्यूवल हो पाई हैं. जानकारी के अनुसार फिलहाल 644 दुकानें रिन्युवल नहीं हो पाई हैं.

बिक्री कमीशन बहुत कम

पूरे राज्य में सिर्फ अजमेर जोन में ही 72 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक दुकानें रिन्युवल हो पाई हैं. वहीं भरतपुर, बीकानेर, कोटा जोन में सबसे कम दुकानें रिन्युवल हो पाई हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि विभाग का 15 हजार करोड़ का राजस्व कैसे पूरा होगा. साथ ही शराब व्यापारी भी विभाग की नई पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. राज्य के शराब व्यापारियों की यह शिकायत भी है कि नई पॉलिसी में दुकानों की रिन्युवल दर में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है. ऐसे में इससे दुकानें महंगी हो गई हैं, जबकि बिक्री और कमीशन बहुत ही कम है. इस कारण शराब की बिक्री से भी दुकानदारों के टारगेट पूरा नहीं हो रहा है.

टारगेट का है मसला

नई शराब नीति आने के बाद से दुकानदार शाम 8 बजे दुकानें बंद कर देते हैं, लेकिन बावजूद इसके देर रात तक अवैध शराब बिकती होती रहती है. साथ ही दुकानदारों का कहना है कि इस पर आबकारी अधिकारी कार्रवाई भी नहीं करते हैं. वहीं राज्य में बीयर पर एडिशनल एक्ससाइज ड्यूटी कम कर दी है, जिससे शराब व्यापारियों के टारगेट में बढ़ोतरी हो गई है. ऐसे में उन्हें डर है कि टारगेट पूरा नहीं करने पर संपत्तियां और सिक्यूरिटी राशि जब्त ना हो जाए.

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