जयपुर: राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में फैले विवाद को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कई बार गहन मंथन किया, लेकिन उसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका. साल 2018 में उपजे विवाद को सुलझाने के कई विफल प्रयासों के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने एक बार फिर से दोनों नेताओं को साथ लाने के लिए रायपुर कांग्रेस अधीवेशन को चुना है.
पायलट वर्किंग कैपिटल हैं
दरअसल मीडिया से बातचीत में सचिन पायलट के समर्थक विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने यह दावा किया है कि इस बार के कांग्रेस अधिवेशन में राजस्थान को लेकर फैसला किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भले ही राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को कांग्रेस का एसेट बताया हो, लेकिन जहां पायलट कांग्रेस के कैपिटल वर्किंग हैं, वहीं गहलोत कांग्रेस के फिक्स डिपॉजिट हैं. साथ ही विधायक ने 2023 में सचिन में पायलट के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा भी जाहिर की है.
एक होंगे गहलोत पायलट?
बता दें कि इसी साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस इन दोनों नेताओं के बीच की तनातनी नहीं झेल सकती. ये दोनों चेहरे राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश में कांग्रेस का चेहरा चमकाने का काम करते हैं. ऐसे में दोनों के बीच पनपे मतभेदों को दूर करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाले अधिवेशन जरिया चुना है.