जयपुर। प्रदेश में राजस्थानी भाषा को दूसरी राज्य भाषा का दर्जा देने के लिए सरकार का प्रयास शुरू हो चुका है जिसके लिए भाषा राजमंत्री ने एक समिति के गठन को मंजूरी दी है.
राजेंद्र राठौड़ ने उठाई मांग
आपको बता दें कि उपनेता प्रतिपक्ष ने बीते कल यानि गुरूवार को विधानसभा में राजस्थानी भाषा को राजस्थान की दूसरी भाषा का दर्जा देने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि 25 अगस्त 2003 को राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया था जिसपर अभी तक काम नहीं हुआ. उन्होने कहा की आर्टिकल 325 के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश की सरकार इसे राजभाषा घोषित कर सकती है. राठौर बोले कि राजस्थान ऑफिसियल एक्ट 1956 में संसोधन करके हम राजस्थानी को राजभाषा बना सकते है. उपनेता प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौर ने इसे एजुकेशन से जोड़ते हुए कहा कि अगर राजस्थानी भाषा बन जाएगी तो आरएएस की परीक्षा में भी वैकल्पिक भाषा की तौर पर आ जाएगी जिससे राज्य के स्टूडेंट्स को पेपर लिखने में आसानी होगी और वह उनको नौकरी मिलने में आसानी होगी।
नई शिक्षा नीति में है प्रावधान
राठौर ने विधानसभा में अपनी बात को रखते हुए कहा की नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रावधान है. अन्य राज्यों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब गोवा, छत्तीसगढ़ में राजभाषाएं बन सकती हैं तो राजस्थान की राजभाषा क्यों नहीं हो सकती।
राज्य शिक्षा मंत्री ने जताई सहमति
राज्य शिक्षा मंत्री डॉक्टर कल्ला ने कहा कि राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने के लिए राजस्थान राजभाषा अधिनियाम 1956 में संशोधन करने की प्रक्रिया चल रही है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में पक्ष और विपक्ष दोनों को एकसाथ जुटकर प्रधानमंत्री से चर्चा कर आग्रह करना चाहिए।