जयपुर। प्रदेश में ट्रांसजेंडर अपनी पहचान को हासिल करने के लिए हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. राजस्थान के 15 जिलों में अभी तक एक भी ट्रांसजेंडर के पास आइडेंटिटी कार्ड नहीं है.
ट्रांसजेंडर कर रहे हैं अपने हक की लड़ाई
आपको बता दें कि प्रदेश में करीब एक लाख ट्रांसजेंडर है उन्हें अपनी पहचान का इंतजार है. जानकारी के मुताबिक राजस्थान के 15 जिले ऐसे हैं जहां एक भी ट्रांसजेंडर के पास अपनी आइडेंटिटी नहीं है. जिसके चलते ट्रांसजेंडर्स को हमेशा परेशानी का सामना करना पड़ता है. राज्य सरकार ने दो साल पूर्व आइडेंटिटी देने की जिम्मेदारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग काे दी। जिसके तहत तकरीबन 251 ट्रांसजेंडर्स ने आवेदन किया था. इनमे से अभी तक 131 के आइडेंटिटी जारी कर दिए हैं. जानकारी के मुताबिक राजस्थान में कोटा प्रदेश का पहला शहर है जिसने 38 ट्रांसजेंडर को आइडेंटिटी कार्ड दिया है.
रोजगार में मिलेगी सहायता
बता दें कि समाज कल्याण विभाग कोटा के उपनिदेशक ओम प्रकाश तोषनीवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कई युवा ट्रांसजेंडर्स शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आइडेंटिटी कार्ड बनने से उन्हें नौकरियों में अवसर प्राप्त हो सकेंगे। यह कार्ड क्षेत्र के टकराव के समय, सरकारी योजनाओं समेत आरक्षण में मददगार साबित होगा। समाज में उन्हें अपनी पहचान मिल सकेगी जो शायद पहले नहीं थी. उन्हें अभी भी अपनी पहचान को लेकर दिक्कत्तों का सामना करना पड़ता है.
प्रदेश में एक लाख से अधिक ट्रांसजेंडर
उच्च शिक्षित ट्रांसजेंडर नैना ने बताया कि हमने शुरुआत में ही आईडी बना लिए थे, लेकिन समुदाय के कुछ ट्रांसजेंडर्स अभी भी पीछे हैं। उनकाे जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश ट्रासजेंडर की संख्या एक लाख से अधिक है।