जयपुर: इस साल के अंत में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने शेष बचे है। अब इसको लेकर सारी राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज हो गयी है। पार्टियां अपना-अपना दांव खेल रही है। इसी बीच सूत्रों से एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि मौजूदा सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी भाजपा ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। ऐसे में दोनों पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगी है। एक बार फिर सत्ता में वापसी को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने सोमवार को महंगाई राहत कैंप के शिविरों की शुरुआत कर दी है। इसमें लोगों को सरकार की योजनाओं का फायदा उठाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है।
कांग्रेस अपना सकती है बीजेपी का गुजरात मॉडल
राजस्थान की राजनीति के जानकारों का मानना है कि सीएम गहलोत इन दोनों फ्रंटफुट पर खेल रहे है। उनका मानना है कि उन्होंने इसके लिए आलाकमान से भी समर्थन हासिल किया है। सीएम गहलोत राजस्थान विधानसभा चुनाव से संबंधित फैसले स्वतंत्रता से ले सकते है। वहीं माना यह भी जा रहा है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भाजपा का गुजरात मॉडल अपना सकती है।
दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने कई सारे मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए थे। इसके बाद आए चुनावी नतीजों ने सबको चौंका दिया था। 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। उसे 182 सदस्यों वाली विधानसभा में 156 सीटें मिलीं थी।
मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है
गहलोत ने पिछले दिनों एक सर्वे करवाया था। इसमें कुछ विधायकों को अच्छे नंबर नहीं मिले थे। इसके बाद गहलोत ने अपने विधायकों को संकेत दे दिया कि जनता कुछ विधायकों के कामकाज से खुश नहीं है। ऐसे में उन विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं।
माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने 30-35 फीसदी विधायकों के टिकट काट सकती है। कांग्रेस आलाकमान से मिले हौसले के बाद अशोक गहलोत काफी हद तक निर्णय लेने की स्थिति में हैं। हालांकि वो सचिन पायलट के मुद्दे पर शांत नजर आ रहे हैं। उनकी चुप्पी के बाद कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि पायलट ग्रुप के विधायकों के ही टिकट काटे जाएं। गहलोत इस तरह को अपना रुतबा और बढ़ाकर पायटल के प्रभाव को कम कर पाएंगे।