Sunday, November 3, 2024

राजस्थान: ऑपरेशन कावेरी की सफलता की कहानी, राजस्थानवासी की जुबानी

जयपुर। सूडान में अभी गृह युद्ध का माहौल बना हुआ है. ऐसे में इस स्थति का दुःख राजस्थान के लोगों ने भी देखा है. इन सबके बीच सूडान से जान बचाकर भारत आने पर एक राजस्थान वासी ने ऑपरेशन कावेरी की चर्चा कर जानकारी दी.

डीडवाना के सुनील ने सूडान का बताया अनुभव

आपको बता दें कि सूडान में गृह युद्द होने से देश की स्थिति बत से बत्तर हो गई है. ऐसे में ऑपरेशन कावेरी की मदद से सही सलामत दिल्ली पहुंचे सुनिल ने अपनी गाथा लोगों को सुनाई। बता दें कि सुनील राजस्थान के डीडवाना के रहवासी है. सुनील सूडान की राजधानी खार्तूम में स्टील प्लांट में तीन साल से काम कर रहे थे. 15 अप्रैल की रात को आने के बाद सुनील आराम फरमाह रहे थे कि उसी रात को मिसाइल्स, बम धमाकों के साथ आसमान में फाइटर जेट उड़ने की आवाज आने लगी. जिसके बाद माहौल में सन्नाटा छा गया. सुनील ने कहा जैसे तैसे रात गुजारी मगर आनेवाला दिन इससे भी बत्तर गुजरा। दो दिन तक हम बिना खाने के रहे. 18 अप्रैल के दिन मुश्किल से भारतीय दूतावास से संपर्क साधने के बाद मदद का आश्वाशन उन्हें प्राप्त हो सका. जिसके बाद भारत द्वारा ऑपरेशन कावेरी को अंजाम देते हुए 29 लोगों को जहाज के जरिए उन्हें सऊदी अरब के शहर जेद्दाह ले जाया गया. वहां से सऊदी और दुबई एयरलाइन की मदद से अगले दिन देर रात को दिल्ली पहुंचाने में सफलता प्राप्त हुई.

क्या है गृह युद्ध का कारण ?

तीन तरह की सेना को हम जानते हैं, जिसमें जल सेना, वायु सेना और थल सेना आते हैं. लेकिन एक और सेना होती है जिसे अर्द्धसेना कहा जाता है. अंग्रेजी में इन्हे पैरामिलिट्री फाॅर्स कहा जाता है. पैरामिलिट्री सेना तीनों सेनाओं से भिन्न है. इसका कारण यह है क्योंकि यह तीनों सेनाओं की तरह रक्षा मंत्रालय के अधीन नहीं आती, बल्कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है. इसलिए यह तीनों फोर्सेज से अलग होती है. लेकिन क्या हो अगर इन सभी फोर्सेज को साथ में मिला दिया जाए? बस यही कारण सूडान में गृह युद्ध होने का. दरअसल सूडान में 2021 में तख्तापलट के बाद संप्रभु परिषद देश पर राज कर रही थी. इस पार्षद के अध्य्क्ष सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल बुरहान वहां कि अधर्सैनिक बल जिसे रैपिड सपोर्ट फाॅर्स के नाम से जाना जाता है उसे सेना में शामिल करना चाहते थे लेकिन अर्धसैनिक बल इसके लिए राजी नहीं था. रैपिड सपोर्ट फाॅर्स के अध्य्क्ष जनरल मोहम्मद हमदान ने इसके बाद 10 सालों के लिए फैसला टालने के लिए कहा था क्योंकि वह अर्धसैनिक के अध्य्क्ष बने रहना चाहते है और अगर पैरामिलिट्री का तीनों सेना में विलय हो जाता है तो वह अध्य्क्ष नहीं रह पाएंगे। इसी मुद्दे को लेकर पिछले हफ्ते माहौल गरमा गया था जिसके बाद ग्रह युद्ध जैसी स्थिति ने जन्म लिया।

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