जयपुर: राजस्थान में जब विधानसभा चुनाव में महज 8 महीने से भी कम का समय शेष है। सभी पार्टियां राजनीतिक बिसात बिछाने में जुट गई है। प्रदेश में जातिगत महापंचायतों का दौरा पिछले दो महीनों से जारी है। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी जातिगत समीकरण साधने में जुटे हैं।
जातिगत जनगणना के पक्ष में गहलोत
देश में जातिगत जनगणना का मुद्दा तूल पकड़ते नज़र आ रहा है। यह मुद्दा बिहार से शुरू हुआ अब धीरे-धीरे देश में अपनी पकड़ बना रहा है। बिहार देश का पहला राज्य है जहां जातिगत जनगणना शुरू हुई। वहीं अब मुख्यमंत्री गहलोत भी इसके पक्ष में नजर आ रहें है। गहलोत ने जातिगत जनगणना की मांग करते हुए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। गहलोत ने अपने मंत्रियों, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा कर जातिगत जनगणना के मुद्दे को हवा देने की रणनीति बनाई है।
पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख सकते हैं गहलोत
गहलोत ने अपने सहयोगियों से चर्चा कर कहा कि केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना करानी चाहिए, जिससे सभी समाजों को उनका हक मिल सके। गहलोत की रणनीति है कि जातिगत जनगणना की मांग को लेकर अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा जाए। इसके बाद दिल्ली जाकर पीएम से मुलाकात करें और यदि फिर भी केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के बारे में फैसला नहीं करती है तो राज्य के कांग्रेसी विधायक दिल्ली जाकर राष्ट्रपति से मुलाकात करें।
चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी कांग्रेस
कुछ नेता जातिगत जनगणना के मामले को विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा मुददा बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें ओबीसी वर्ग के नेता ज्यादा हैं। 200 सदस्यीय विधानसभा में 60 विधायक और प्रदेश से लोकसभा की 25 में से 11 सीटों पर ओबीसी वर्ग के सांसद हैं।
आपको बता दें कि प्रदेश की आबादी 8 करोड़ मानी जाती है, जिसमें से करीब पौने चार करोड़ ओबीसी वर्ग की है। ओबीसी में मुख्य रूप से जाट,माली,यादव,कुमावत सहित 50 जातिया हैं। ऐसे में ओबीसी वर्ग के नेता राज्य सरकार पर जातिगत जनगणना को लेकर ज्यादा दबाव बना रहे हैं।