जैशलमेर: वैसे तो देश 1947 में आज़ाद हो गया था लेकिन राजस्थान के जैशलमेर जिले के एक गांव में 76 साल लग गए डामर की सड़क बनाने में। राजस्थान सरकार विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में डामर सड़कों का निर्माण करवा रही है। भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले के सुदूर गांवों व ढाणियों एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्षों बाद सड़कों का निर्माण होने से लोगों को कच्चे व रेतीले मार्गों की समस्या से राहत मिल रही है। इसी के अंतर्गत क्षेत्र की जैसलमेर जिले के सत्याया ग्राम पंचायत के सेवड़ा गांव में देश की आजादी के 76 वर्ष बाद डामर सड़क पहुंची है। जिस पर ग्रामीणों ने खुशी जताई है।
ग्रामीणों को मिली राहत
सत्याया ग्राम पंचायत के सेवड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि यहां वर्षों से डामर सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को कच्चे व रेतीले मार्गों से आवागमन करना पड़ रहा था। तेज आंधी के मौसम में तो कई बार रास्ता भटक जाने की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। इन मार्गों से निकलना किसी चुनौती से कम नहीं था। इसे लेकर कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया, लेकिन वर्षो से कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अब यहां डामर सड़क पहुंचने से ग्रामीणों ने राहत लीं।
मंत्री शाले मोहम्मद की अनुशंसा से बना मार्ग
ग्रामीणों की मांग पर अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद की ओर से 450 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए अनुशंसा की गई। सरकार की ओर से राशि स्वीकृत करने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से पोकरण रोड से मंगेली ढाणी होते हुए सेवड़ा तक डामर सड़क का निर्माण करवाया गया। कई पीढियां गुजर जाने और आजादी के 76 सालों बाद डामर सड़क गांव तक पहुंचने पर ग्रामीणों ने खुशी जताई और विधायक का आभार जताया। ग्रामीणों ने बताया कि पोकरण रोड आर्मी टॉवर से सेवड़ा गांव तक डामर सड़क बन जाने से राहगीरों व वाहन चालकों का आवागमन सुगम होगा। साथ ही कच्चे व रेतीले मार्गों की समस्या से भी निजात मिली है।