जयपुर: राजस्थान में विधानसभाब चुनाव के महज 7 महीने शेष है। अब इसको लेकर राजस्थान की राजनीति गर्माती चली जा रही है। बीते महिने 11 अप्रैल को अपनी ही सरकार के खिलाफ सचिन पायलट अनशन पर बैठे थे। अब एक बार फिर पायलट ने बगावती तेवर दिखाते हुए 11 मई से 15 मई तक जन संघर्ष यात्रा निकालने जा रहे हैं। उनकी यह यात्रा अजमेर से जयपुर तक जाएगी।
सीएम गहलोत से मांगा स्पष्टिकरण
बीते दिन सोमवार को पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री जी की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे सिंधिया हैं। मुख्यमंत्री जी यह बात स्पष्ट करें। उन्होंने आगे कहा कि अपने नेताओं और विधायकों को बदनाम कर भाजपा का गुणगान किया जा रहा है।
दरसल रविवार को धौलपुर की रैली में सीएम गहलोत ने कहा था जो विधायक अमित शाह से पैसा लिए हैं, अमित शाह को वापस कर दें, उनका पैसा रखोगे तो दबाव में रहोगे। साथ ही सीएम गहलोत ने कहा कि जब राजस्थान सरकार गिराने की कोशिश की जा रही थी तो वसुंधरा राजे ने हमारी सरकार बचाई थी। अब सीएम गहलोत के इसी बयान को लेकर पायलट उनपर हमलावर हैं और अपने समर्थन में जन संघर्ष यात्रा निकालने जा रहें हैं।
पोस्टर से गायब दिखे राहुल-प्रियंका
पायलट के जन संघर्ष यात्रा को लेकर पोस्टर जारी कर दिया गया है। इस पोस्टर में सचिन पायलट के साथ एक तरफ महात्मा गांधी, डॉ. भीम राव अम्बेडकर और भगत सिंह हैं तो वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी हैं। लेकिन पायलट के इस पोस्टर में ना राहुल गांधी और ना ही प्रियंका गांधी नज़र आ रहीं हैं।
पायलट के पोस्टर से पंजा गायब
सचिन पायलट के जन संकल्प यात्रा के पोस्टर में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पंजे के निशान की जगह अपनी मुट्ठी बंद करके खिंचवाई गई फोटो लगाई है। इससे भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि पायलट क्या सियासी संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी चुनाव मोड़ पर चल रही है और चुनावी वक़्त में जन संघर्ष यात्रा के पोस्टर में राहुल और प्रियंका गांधी के साथ पार्टी अध्यक्ष खरगे की फोटो न होना और कांग्रेस का चुनाव चिन्ह नहीं होना भी कई सवाल खड़े कर रहा है। अगर सचिन पायलट की नाराजगी सिर्फ अशोक गहलोत से है तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को क्यों दरकिनार किया गया है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या अब राहुल और प्रियंका गांधी में भी पायलट को भरोसा नहीं रहा या उन्हें अब वह अपना नेता नहीं मानते हैं। क्या राहुल और प्रियंका गांधी की ओर से किया गया वादा पूरा नहीं होने के कारण पायलट ने यह नाराजगी जाहिर की है?