Friday, October 18, 2024

RAJASTHAN: राजस्थानी संस्कृति को पसंद कर रहें विदेशी, नृत्य शिविर में सीख रहे लोक नृत्य

JAIPUR। बदलते समय के साथ राजस्थान की लोक कलाएं भी धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं। युवा लोग अपनी दूरी बनाकर बॉलीवुड-हॉलीवुड के गानों पर नाचने में लगे हुए हैं। इसके बावजूद, विदेशी पर्यटक इन कलाओं को अपना कर रहे हैं। उदयपुर के जगदीश चौक पर स्थित विरासत प्रांगण में राजस्थानी लोक नृत्य की निःशुल्क क्लास का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें खासतौर पर विदेशी पर्यटक भी शामिल हो रहे हैं।

यह संस्थान नृत्य प्रशिक्षण का करता है आयोजन

आपको बता दें कि विजयलक्ष्मी संस्थान हर रविवार को मुफ्त लोक नृत्य प्रशिक्षण शिविर आयोजित करता है। यह शिविर सुबह 11 से 2 बजे तक सिटी पैलेस के पास जगदीश चौक स्थित विरासत प्रांगण में आयोजित होता है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार विजयलक्ष्मी आमेटा, संगीत नाटक अकादमी जोधपुर से सम्मानित कोरियोग्राफर, घूमर, चरी, गणगौर, भवाई ट्रेनिंग देते हैं। शिविर में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। उनमें से भी लोक नृत्य सीखने की उत्सुकता देखी जाती है।

विजय लक्ष्मी ने दी जानकारी

कोरियोग्राफर विजय लक्ष्मी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस डिजिटल युग में अलग-अलग त्योहारों और मेलों के दौरान किए जाने वाले राजस्थान के पारंपरिक नृत्य धीरे-धीरे अपना महत्त्व खोते जा रहे हैं। उदयपुर, अपनी खूबसूरत झीलों और जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है, राजस्थान के मानचित्र पर एक प्रमुख शहर है। इसलिए, स्थानीय महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए यह जरुरी है कि वे घूमर, गणगौर, समेत चरी और कालबेलिया जैसे नृत्य सीखें और उनमें भाग लें। उन्होंने कहा कि यही हमारी पहचान है, लेकिन युवा इसके प्रति उदासीन नजर आते हैं। यह कार्यशाला राजस्थानी संस्कृति को बांचने करने का एक प्रयास है।

छोटी उम्र के बच्चे भी हो सकते हैं शामिल

इस शिविर में 8 साल के उम्र के बच्चों को लेकर 60 वर्ष तक कोई भी भाग ले सकता है. अभी 30 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बता दें कि 30 मार्च से शुरू हुए इस शिविर का समापन 30 जून को होगा.

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