जयपुर: राजस्थान विधानसभा के चुनाव में महज कुछ ही महीने शेष बचे है। ऐसे में कांग्रेस राजस्थान में भी कर्नाटक का हिट फार्मूला आजमाना चाहती है। दरअसल कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के दखल होने का फार्मूला हिट रहा था। इसके बाद अब कांग्रेस इस फार्मूले को राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी आजमाने की कोशिश में है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व इसी फॉर्मूले के सहारे राजस्थान में भी जीत के सपने संजोए हुए है। राजस्थान में कांग्रेस को अपनी सरकार बचाने के लिए चुनाव मैदान में जाना है। कांग्रेस नेतृत्व ने अपने फैसले से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत करा दिया है।
क्या है कांग्रेस का फार्मूला
राजस्थान कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार प्रदेश में अगर यह फार्मूला लागू हो गया तो फिर प्रदेश का शीर्ष नेतृ्त्व अपने चहेतों को टिकट दिलाने के लिए जोर-आजमाइश नहीं कर पाएगा। कर्नाटक फार्मूले के तहत स्टेट लीडरशिप की बजाए केंद्रीय नेतृत्व की मर्जी से ही टिकट तय होंगे। पार्टी हाईकमान की इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से भी चर्चा हो चुकी है।
केंद्रीय नेतृत्व की हाथ में फैसला
दरअसल कर्नाटक फार्मूले के तहत प्रत्याशी चयन में प्रदेश के शीर्ष नेताओं से केवल राय ही ली जाएगी। प्रत्याशी का फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा। जानकारों का कहना है कि प्रत्याशी चयन के लिए होने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों में भी स्टेट लीडरशिप अपने-अपने समर्थकों के लिए ज्यादा प्रयास कर टिकट की मांग नहीं कर पाएंगे।