Thursday, September 19, 2024

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में अभी तक दिख रहा बिपरजॉय का प्रभाव

जयपुर। अरब सागर से उठे चक्रवात तूफान बिपरजॉय ने राजस्थान के अधिकांश जिलों को प्रभावित किया। जानकारी के अनुसार पांच दिन में तूफान के असर से 14 प्रतिशत बरसात हो चुकी है. टेक्सटाइल सिटी कहे जाने वाले भीलवाड़ा में बुवाई लायक पानी खेतों में प्रवेश कर चुका है.

आज का मौसम

आपको बता दें कि अरब सागर से उठा भयंकर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की वजह से राजस्थान में 14 प्रतिशत की बारिश दर्ज की गई है. मौसम विभाग के अनुसार बिपरजॉय तूफान ने राजस्थान से विदाई तो ले ली है मगर अब गर्मी और उमस ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है. भीलवाड़ा में पारा एक बार फिर चढ़ने लगा है. बुधवार को शहर में अधिकतम तापमान 35.8 वहीं न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग का मानना है कि बिपरजॉय के असर से बनेड़ा क्षेत्र में सबसे अधिक वर्षा हुई. जहां अब तक 172 मिमी बारिश हो चुकी है, जो करीब सात इंच है।

कितनी हुई बरसात ?

यहां अभी तक केवल 25 मिमी वर्षा रिकॉर्ड बनाया गया है। भीलवाड़ा में 71 मिमी वर्षा हुई। जिले में वर्षा का औसत 616 मिमी है, जो अभी तक के औसत 14.13 प्रतिशत वर्षा हो चुकी है।

उमस और गर्मी से बेहाल

शहर में सूरज फिर तपताने लगा। सुबह नौ बजे से धूप में उष्णता देखी गई। दोपहर एक बजे तीव्र उष्णता ज्वर उठाती रही थी। उष्णता बढ़ने से कूलर-एयर कंडीशनर ने फिर से गति पकड़ ली है। दिन-रात का तापमान बढ़ गया है।

कैसे बनता है तूफान ?

बता दें कि चक्रवात गोलाकार तूफान जो गर्म समुद्रों के ऊपर बनते हैं। सभी प्रकार के चक्रवातों के बनने के लिए समुद्र के पानी की सतह का तापमान लगभग 25-26 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। यही कारण है कि चक्रवात अधिकतर गर्म इलाकों में बनता है। जैसे-जैसे समुद्र का तापमान बढ़ता है, उसके ऊपर की हवा गर्म और अधिक नम होने की वजह से वह हल्की हो जाती है और ऊपर उठ जाती है। इससे हवा में कम दबाव का क्षेत्र बनता है और नीचे का दबाव कम हो जाता है। आसपास के क्षेत्र से ठंडी हवा खाली जगह को भरने के लिए पहुंचती है, लेकिन जैसे-जैसे हवा ऊपर उठती है, वह भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है। इस तरह चक्र शुरू होता है और बादल बनने लगते हैं। तमाम इलाके बारिश से प्रभावित होते हैं और इससे एक स्टॉर्म साइकल
तैयार हो जाता है. समुद्र में ये गोलाकार तूफान एकदम कुंडली मारकर बैठे सांप की तरह नजर आते हैं, इस कारण इन्‍हें साइक्‍लोन कहा जाता है.

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