जयपुर। 29 जून को देवशयनी एकादशी है. आज सृष्टि के पालनहार भगवान वासुदेव देवशयनी एकादशी से क्षीर सागर में योग निद्रा में लीन हो जाएंगे। आज के दिन मनोकामना मांगने से भगवान हरी उन्हें पूरी कर देते हैं।
आज है देवशयनी एकादशी
आपको बता दें कि गुरूवार यानी आज देवशयनी एकादशी है. आज के दिन देवशयनी एकादशी व्रत रखने से सारी मुरादों की पूर्ति हो जाती है. वहीं 30 जून से चातुर्मास शुरू हो जाएगा जिसके बाद सभी शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा। चातुर्मास लगने के बाद ध्यान योग साधन के कार्यक्रम होंगे। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने पर देवउठनी एकादशी तक भगवान शिव धरती का कार्य भार संभालते हैं. यही कारण है कि इन महीनों में भगवान शिव की विशेष पूजा आराधना होती है. धर्म शास्त्रों के दौरान चातुर्मास को कर राशि वालों को संत सेवा जरूर करना चाहिए। वहीं इन महीनों में किए गए तप, दान, सेवा का फल जरूर प्राप्त होता है. शस्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत महिला और पुरुष दोनों को करना चाहिए।
एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित क्यों ?
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. जल पर चन्द्रमा का प्रभाव ज्यादा होता है. ऐसे में चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा अधिक हो जाती है जिससे मन विचलित और चंचल हो जाता है.
क्या है देवशयनी एकादशी की पूजा विधि ?
जानकारी के माध्यम से भगवान नारायण यानी भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। इसके बाद पीले पुष्प, धूप और दीपक से पूजा अर्चना करने के साथ आरती करनी चाहिए। अगर प्रसाद की बात करें तो देसी घी से बनी मिठाइयां अथवा खीर बना कर भगवान को चढ़ाना चाहिए।