Thursday, September 19, 2024

Rajasthan Election 2023: हांड़ी रानी के गढ़ में कौन फहराएगा विजय पताका , क्या कहता है सलूम्बर विधानसभा सीट का समीकरण

जयपुर: मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास का महत्वपूर्ण ठिकाना सलूम्बर, राजस्थान के इतिहास की उस घटना का साक्षी है जब एक रानी ने विवाह के 7 दिन बाद ही अपना शीश काटकर युद्ध के लिए तैयार अपने पति के पास भिजवा दिया, ताकि राजा अपना कर्तव्य न भूलें। यह रानी बूंदी के हाड़ा शासक की बेटी थीं और उदयपुर (मेवाड़) के सलूम्बर ठिकाने के राजा चूड़ावत की रानी थीं। इतिहास में इनका नाम हाड़ी रानी के नाम से जाना जाता है। हाड़ी रानी के त्याग की भूमि सलूम्बर उदयपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों में से एक महत्वपूर्ण सीट है। यह उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में महज चंद महीने शेष है। ऐसे में राजस्थान की मावली सीट का समीकरण क्या है उसे आपको समझाते हैं। सलूम्बर विधानसभा सीट राजस्थान की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी।

इस बार सलूम्बर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। हम आपके लिये लाये हैं विस्तृत कवरेज, जिसमें आप विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की सूची, पार्टी प्रचार व अन्य खबरों के साथ-साथ जान सकेंगे यहां के विजेता, उपविजेता, वोट शेयर और बहुत कुछ।

टूटा 46 साल का रिकॉर्ड

सलूम्बर विधानसभा सीट राजस्थान के उदयपुर जिले में आती है। 2018 में सलूम्बर में कुल 47 प्रतिशत वोट पड़े। 2018 में भारतीय जनता पार्टी से अमृतलाल मीना ने आईएनसी के रघुवीर सिंह मीना को 21918 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस विधानसभा के आकडों का 46 साल का इतिहास है कि यहां जिस पार्टी का विधायक बना सरकार भी उसी की बनी है। हालांकि यह किवंदती पिछले चुनाव में टूटी क्योंकि यहां भाजपा के प्रत्याशी ने विजय प्राप्त की। इसके बाद भी बीजेपी की सरकार नहीं बनी। पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां बीजेपी के अमृतलाल मीणा विधायक हैं। इसलिए यह सीट कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।
खास बात यह है कि कांग्रेस वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य पूर्व विधायक और पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा इसी क्षेत्र से आते हैं। इसी विधानसभा से वह विधायक और उदयपुर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। वह और उनकी पत्नी बसंती देवी दोनों विधायक थे। पिछले चुनावों में दोनों को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है। यहीं नहीं हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यहां दौरा हुआ था। सलूम्बर को जिला घोषित करने पर उनका स्वागत कार्यक्रम रखा गया। गहलोत यहां आए और सभा को भी संबोधित किया। सलूम्बर विधानसभा सीट की लंबे समय से एक ही बड़ी मांग रही है जिसे गहलोत सरकार ने पूरा कर दिया है। यह मांग थी कि सलूम्बर को जिला घोषित कर दिया जाए। सीएम ने इसे जिला घोषित कर दिया है। अब चर्चाएं हैं कि इससे सलूम्बर विधानसभा में कांग्रेस को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है। क्योंकि दूरी के कारण यहां के लोग काफी परेशानियों से गुजर रहे थे। लेकिन वर्तमान बीजेपी विधायक अमृत लाल मीणा दो बार से विधायक हैं। क्षेत्र में उनके भी वर्चस्व को भूल नहीं सकते। ऐसे में यह सीट अब दोनों पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।

क्या कहते हैं आंकड़ें

सलूम्बर विधानसभा सीट की खासियत यह है कि यहां जिस पार्टी का विधायक जीतता है, जयपुर में सरकार उसी की बनती है। पहली बार पिछले चुनाव में बीजेपी के अमृतलाल ने इस मिथक को तोड़ते हुए जीत दर्ज की थी। हाल ही में सलूम्बर को सरकार ने जिला घोषित किया है और मुख्यमंत्री गहलोत ने सलूम्बर दौरे के बाद इस सीट के लिए घोषणाओं का पिटारा भी खोल दिया है। इसको देख कर लगता है कि सरकार के लिए सलूम्बर प्राथमिक सीटों में शामिल हो गई है।

इस बार किस करवट बैठेगा ऊंट

इस विधानसभा सीट की अगर बात करें तो सीडब्ल्यूसी मेंबर रघुवीर मीणा और उनकी पत्नी बसंती देवी मीणा विधायक रह चुकी हैं। बसंती देवी अभी सराडा की प्रधान हैं। रघुवीर मीणा के लिए इस चुनाव में अधिक मेहनत करने की जरूरत होगी, क्योंकि उनको विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों में लगातार पराजय का सामना करना पड़ा। इस लिहाज से आसन्न चुनाव में उन्हें अतिरिक्त मेहनत करने की जरूरत होगी। वहीं बीजेपी के लिए इस सीट पर अपनी जीत को बरकरार रखना भी चुनौतियां भरा होगा। क्योंकि एक मात्र चुनावी मुद्दा अब अप्रासंगिक हो गया है। ऐसे में जीत के लिए बीजेपी को कुछ नया मुद्दा खोजना और उसको प्रासंगिक बनाना सबसे जरूरी होगा।

इस सीट की जातिगत समीकरण

अगर यहां की जनसंख्या की बात करे तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 3,61,053 थी। उदयपुर जिले की सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र 156 अनुसूचित जनजाति की सुरक्षित सीट माना जाता है। इस क्षेत्र की जनसंख्या के लिहाज से 92.48 फीसदी हिस्सा ग्रामीण और 7.52 फीसदी हिस्सा शहरी है। इस विधानसभा में कुल आबादी का 55.07 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति है, जबकि 5.21 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति है। वहीं आदिवासी आबादी के बाद सबसे बड़ी आबादी पटेल समाज की है, फिर राजपूत, ब्राह्मण और अन्य जातियां शामिल हैं।

रोजगार है मुख्य मुद्दा

सलूम्बर विधानसभा में तीन पंचायत समितियां हैं। बड़े कस्बों की बात करे तो सलूम्बर, सराड़ा, चावंड, जयसमंद, गिंगला, करावली हैं। यहां जिला घोषित करने के अलावा दो अन्य मांगे भी हैं। हालांकि सलूम्बर जिला घोषित तो हो गया है लेकिन और मांगो के पूरा होने का लोगों को अभी भी इंतजार है। लोगों का कहना है कि सलूम्बर में स्थिति ऐतिहासिक हाड़ी रानी का महल खंडहर हालात में है, उसके संरक्षण की जरूरत है। वहीं इस क्षेत्र में औद्योगिक इकाईयों का भी खुलना जरूरी है। क्योंकि रोजगार के साधन नहीं है, यहां के लोग स्थानीय स्तर पर ही दुकानें लगाकर आमदनी कमाते हैं या फिर रोजगार के लिए अहमदाबाद, मुम्बई या कुवैत जाने पर मजबूर हैं। यानि कह सकते है की इस बार भी इस क्षेत्र का मुख्य मुद्दा रोजगार ही होने वाले है।

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