जयपुर: राजस्थान की ट्रांसजेंडर नूर शेखावत इस समय लगातार चर्चा में बनी हुई है। खबर यह थी की राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर नूर शेखावत को राजस्थान विश्वविद्यालय के महारानी कॉलेज में दाखिला दे दिया गया है और अब वह पढ़ लिखकर अपने सपनों को नई उड़ान देने जा रही है। लेकिन इंडिया न्यूज़ (इनखबर राजस्थान) से खास बातचीत के दौरान नूर शेखावत ने इस बात को साफ कर दिया है कि अभी तक उन्हें कॉलेज में दाखिला नही दिया गया है, हालांकि पहले इस बात का अंदेशा उन्हें भी नहीं था। आज सुबह ही उन्हें यह पता चला कि अभी तक दाखिला नहीं हुआ है। अभी तो दाखिला की प्रक्रिया ही जारी है, यह जानकर नूर शेखावत बहुत मायूस भी हुई। उनका कहना है कि जब उनसे सभी औपचारिकताएं पूरी करवा ली गई है, तो फिर एडमिशन देने में इतना विलंब क्यों ?
ताने सुनने पड़ते हैं, हौसला जुटाना पड़ता है
नूर शेखावत ने बताया कि वह जिस कम्युनिटी से आती है उसमें पहले ही बहुत संघर्ष कर आगे बढ़ना पड़ता है। लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं यहां तक कि अपने भी मुंह मोड़ लेते हैं। आज तक मैंने यहां तक का जो सफर तय किया है वह मेरे लिए आसान नहीं था। साल 2013 में 12वीं पास होने के बाद मेरी पढ़ाई छूट गई हालांकि जब मैं 12वीं कक्षा में थी, तब भी एक ट्रांसजेंडर होने के नाते मुझे कई ताने सुनने पड़ते थे। कॉफी संघर्ष करने के बाद हिम्मत जुटाकर यहां तक पहुंची हूं। एडमिशन के लिए अप्लाई किया, अपना फार्म डिपॉजिट कर दिया उसके बाद भी अभी तक मुझे कोई पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला है, ऐसे में हम समझ सकते हैं कि हमारी कम्युनिटी को कितना भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
साक्षरता सबका अधिकार
नूर शेखावत का कहना है की साक्षरता हम सभी का संवैधानिक अधिकार है। पहले तो ट्रांसजेंडर समाज से कोई एडमिशन लेने ही नहीं आया करता था, मगर आज जब मैं खुद चलकर गई हूं कि मुझे एडमिशन दे दीजिए, मैं आगे पढ़ना चाहती हूं। उसके बाद भी आप सोच रहे हो, मुझे नहीं लगता इस तरीके के रवैया के बाद आगे कोई भी ट्रांसजेंडर आगे बढ़ने की या पढ़ने की पहल कर पाएगी।
घरों में जाकर बधाइयां भी मांगी
ट्रांसजेंडर नूर शेखावत ने बताया कि 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद मैं आगे नहीं पढ़ पाई उसी दौरान मैंने घरों में जाकर बधाइयां भी मांगी मगर मैं जनता से यह पूछना चाहती हूं, मैंने यह चीज महसूस की है कि जब हम उनके घर बधाइयां लेने जाते हैं, तब वह लोग हमारी बहुत इज्जत करते हैं। हमारे पैर छूते हैं, तो फिर वह इज्जत हमें बाद में क्यों नहीं दी जाती, हालात यह है कि लोग हमें किराए पर भी घर देने के लिए तैयार नहीं होते। यह चीज बहुत गलत हो रही है, ट्रांसजेंडर समाज के साथ कुछ भी चीज करने के लिए कुछ पाने के लिए हमें अपना सबकुछ डालने पड़ते हैं।
ट्रांसजेंडर के लिए कई प्रावधान है मगर
उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छुक ट्रांसजेंडर नूर शेखावत ने बताया कि ट्रांसजेंडर्स के लिए कई प्रावधान है। उसके बाद भी कहीं ना कहीं परिवार, सोसाइटी के दवाब होने के कारण हमारे समाज के लोग आगे आने से डरते हैं। क्योंकि जो हमसे जुड़े हुए अन्य लोग हैं, वह हमारे सामने शर्त रख देते हैं और हमसे दूर होने लगते हैं। मैं खुद के परिवार के बारे में बताना चाहूंगी कि जब से मुझे जन्म प्रमाण पत्र मिला और यह सब मीडिया में आया तब से मेरे परिवार ने मुझसे बात करना बंद कर दिया, तो क्यों हमें समानता का दर्जा नहीं दिया जाता।
मेरी लड़ाई ट्रांसजेंडर समाज के लिए
ट्रांसजेंडर नूर शेखावत का यह कहना है कि मैं यह जो लड़ाई लड़ रही हूं लोगों से, अधिकारियों से, समाज से कि हमें भी हमारा हक चाहिए समानता चाहिए। मैं यह नहीं चाहती कि ट्रांसजेंडर समाज की आगे की जो पीढ़ी है, उन लोगों को इन सब का सामना करना पड़े। उन्हें एक स्पेशल केस के जैसे ट्रीट ना करकर समानता का अधिकार मिले।
राजनेता बन करना चाहती हूं सेवा
नूर ने आगे कहा कि मैं एक राजनेता बनना चाहूंगी और अपनी सोसाइटी के लिए विशेष काम करना चाहूंगी। क्योंकि हर वर्ग की बात की जाती है, फिर चाहे वह विकलांग हो, वृद्ध हो, या कोई भी पर ट्रांसजेंडर के लिए कोई बात नहीं करता। हमें नजरअंदाज किया जा रहा है।