Friday, November 22, 2024

Aditya-L 1 : चांद के बाद अब सूर्य के सफर पर भारत, ISRO लांच करने जा रहा है अपना खास मिशन आदित्य एल-1

जयपुर: मिशन चंद्रयान के बाद अब एक कदम भारत और आगे बढ़ते हुए सूर्य के सफर पर निकलने वाला है। इसरो सूर्य को नमस्कार करने के लिए समय सारणी का ऐलान कर दिया है। सूरज के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए इसरो ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सूरज का अध्ययन करने वाले सैटेलाइट का इसरो ने पहली तस्वीर जारी किया है। भारत का सूरज की तरफ यह पहला कदम होगा। यह सैटेलाइट प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा पहुंच चूका है। इसरो में सूरज के बारे में अध्ययन करने वाले इस मिशन को आदित्य-एल 1 नाम दिया है।

हालो ऑर्बिट में स्थापित होगा सैटेलाइट

बता दें कि सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जाना वाला यह इसरो का पहला मिशन है। आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैंग्रेज पॉइंट के करीब हालो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। पृथ्वी से सूर्य की दूरी करीब 151.55 मिलियन किमी है। इसरो ने बताया कि एल1 पॉइंट के नजदीक हालो ऑर्बिट में सैटेलाइट को स्थापित करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यहां से लगातार सूर्य पर नजर रखी जा सकती है और यहां सूर्य ग्रहण का भी असर नहीं होता। इससे सूरज की गतिविधियों और इनके अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण करने में बहुत फायदा होगा।

सूरज की गतिविधियों पर रखेगा नजर

आदित्य एल1 के साथ सात पैलोड भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। ये पैलोड सूरज की फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत का अध्ययन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से करेंगे। इनमें से 4 पैलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे और बाकी 3 पैलोड परिस्थितियों के हिसाब से मैग्नेटिक फील्ड और पार्टिकल का अध्ययन करेंगे। इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 के पैलोड सूरज की कोरोनल हीटिंग, प्री फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्शन,और फ्लेयर गतिविधियों के बारे में और सूरज में होने वाली गतिविधियों के अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर के बारे में अहम जानकारी देंगे।

आदित्य एल1 मिशन के उद्देश्य

आदित्य एल1 मिशन के उद्देश्यों की बात करें तो यह सौर मंडल के ऊपरी वायुमंडल में गतिशीलता का अध्ययन करेगा। साथ ही क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हिटिंग, आयनित प्लाज्मा की भौतकता आदि का अध्ययन करेगा।

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