Monday, September 23, 2024

Rajasthan: जिस एक्सप्रेस-वे का प्रधानमंत्री मोदी ने किया लोकार्पण, एक महीना में हुआ उसका बुरा हाल

जयपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते 8 जुलाई को जिस अमृतसर-जामनगर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया गया था। वह डेढ़ महीना भी नहीं टिक सका। अमृतसर-जामनगर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की सड़क ट्रकों का बोझ नहीं सह पा रही है। खासकर भारी और मालवाहक वाहनों के लिए बने इस हाइवे की सड़क ट्रकों के टायरों की रगड़ के चलते उखड़ रही है। जहां कोई ट्रक ब्रेक लगाता है, डामर की परत उखड़ जाती है और ग्रिट बाहर निकलते ही गड्ढा बन जाता है। पत्रिका ने नोखा क्षेत्र से लेकर अर्जुनसर क्षेत्र तक के ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की पड़ताल की, तो पाया कि जगह-जगह सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी है। अभी इस सड़क ने बारिश का एक पूरा सीजन भी नहीं झेला है। फिर भी नई बनी सड़क की चंद दिनों बाद ही ऐसी हालत देखकर इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। साथ ही इस पर सुरक्षित, सुगम और तेज यात्रा की परिकल्पना को गहरा झटका लगा है।

पीएम मोदी ने किया था लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 8 जुलाई को अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे के राजस्थान में पड़ने वाले हनुमानगढ़ से जालौर तक के 502 किलोमीटर हिस्से का लोकार्पण किया था। एक्सप्रेस-वे की प्रति एक किलोमीटर सड़क पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह सिक्स लेन हाइवे है। एक तरफ केवल एक दिशा में वाहन चलते हैं। दूसरी तरफ विपरीत दिशा में। वाहनों की गति 100 किलोमीटर तक रखी गई है। इसका आर्थिक कॉरिडोर के तहत निर्माण के चलते सड़क को भारी से भारी वाहनों के आवागमन को झेलने की क्षमता का दावा किया जाता है। परन्तु जिस तरह साधारण ओवरलोड ट्रकों से सड़क बैठने लग गई। उससे नहीं लगता कि बड़े ट्रोलों के लगातार गुजरने पर ज्यादा दिन सड़क टिक पाएगी।

निर्माण में हुआ झोल

पीडब्लयूडी के एक इंजीनियर के मुताबिक, इस सड़क के निर्माण में कच्ची गिट्टी (ग्रिट) का इस्तेमाल होने की आशंका है। जबकि पक्की ग्रिट रणधीसर, गोपालपुरा से काले रंग की मिलती है, उसका उपयोग किया जाना चाहिए था। सारूड़ा, भोजास और श्रीबालाजी से कच्ची ग्रिट लाकर सड़क बनाते समय डाली होने की आशंका है, जो भारी वाहनों का वजन झेल नहीं पा रही है और बैठ रही है। यह सस्ती तथा नजदीक मिलने से ठेकेदार ने लालच में शायद इसका उपयोग किया। दूसरी वजह बालू मिट्टी हो सकती है। सड़क समतल धरातल से करीब 20-25 फीट मिट्टी से भर्ती कर उस पर बनाई गई है। ठेकेदार ने आस-पास के खेतों से बालू मिट़्टी का उपयोग किया गया है। बालू मिट्टी की अच्छी से घोटाई नहीं की होने से अब सड़क बैठ रही है। नियमानुसार मिट्टी की जांच के बाद जमने वाली और मजबूत मिट्टी का उपयोग ही किया जाना चाहिए था, बालू मिट्टी का नहीं।

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