जयपुर: दो मंत्रियों की राजनीतिक लड़ाई इस मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है कि राज्य सरकार कार्यवाहक महापौर की घोषणा नहीं कर पा पाई। मुनेश गुर्जर के निलंबन के सियासी नुकसान भी सरकार देख रही है। यही वजह है कि स्वायत्त शासन विभाग की निगाहें अब हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।
हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
सोमवार को मुनेश गुर्जर के निलंबन पर हाईकोर्ट में सुनवाई है। सूत्रों की मानें तो सुनवाई के बाद ही डीएलबी आगे बढ़ेगा। छह अगस्त को राज्य सरकार ने उनका महापौर पद से निलंबित कर दिया था। इसके बाद से हैरिटेज में महापौर की कुर्सी खाली है।
उप-महापौर पर सस्पेंस बरकरार
महापौर के पति सुशील गुर्जर पर एसीबी की कार्रवाई और मुनेश गुर्जर के निलंबन के बाद से अल्पसंख्यक चेहरे को महापौर बनने की कवायद चल रही है। नामों पर भी विचार हो चुका है, लेकिन उप महापौर भी अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में उनको इस्तीफा देना होगा। सूत्रों की मानें तो वे इसके लिए तैयार नहीं हैं और सरकार उनको बिना किसी ठोस कारण के बर्खास्त भी नहीं कर सकती। ऐसे में उप महापौर के लिए दौड़ में जो पार्षद शामिल हैं, उनकी राह आसान होती नहीं दिखाई दे रही है।
सियासी फायदा दिख रहा तो अल्पसंख्यक चेहरे पर दांव
कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। किशनपोल, आदर्श नगर, हवामहल और सिविल लाइन्स विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक वोट जिताऊ भूमिका में हैं। यही वजह है कि हैरिटेज निगम में महापौर की कुर्सी पर अल्पसंख्यक चेहरा बैठाकर विधायक अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।