Monday, September 16, 2024

चंद्रयान-3 की साफ्ट लैंडिग के लिए अखिरी के 15 मिनट बेहद जरूरी

जयपुर। 23 अगस्त को शाम 5 बजे इसरो चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतारने की तैयारी कर रहा है. चंद्रयान-3 इतिहास बनाने से अब कुछ ही समय दूर है. लेकिन इसकी सबसे अहम प्रक्रिया लैंडिग की है, जो बहुत नाजुक और पेचीदा है.

मिशन के अखिरी 15 मिनट महत्वपूर्ण

40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर सतह पर उतरने की तैयारी करेगा। लैंडिग प्रक्रिया में सबसे अहम अंतिम 15 मिनट होते हैं. चंद्रयान-2 की लॉचिंग में यही 15 मिनट बेहद अहम साबित हुए थे और तब इसरो के चैयरमैन रहे सिवन ने मिशन की नाकामी को 15 मिनट का आतंक बताया था.

चंद्रयान-2 हुआ था विफल

2019 में चंद्रयान-2 की लॉचिंग में लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर 2.1 की ऊंचाई तक पहुंच गया था और यहां तक सब ठीक भी था मगर एक छोटी सी तकनीकी गड़बड़ी के कारण लैंडर मॉड्यूल क्रैश हो गया था.

इसरो के चेयरमैन सोमनाथ ने दी जानकारी

इसरो के मौजूदा चेयरमैन एस सामनाथ ने जानकारी देते हुए बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल के साथ इस तरह की दुर्घटना को रोकने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं और अगर गणना में छोटी सी भी त्रुटि होती है, तो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लैंडर को सतह पर उतारने के लिए सभी सावधानियां बरती हैं.

समस्या उत्पन्न होने पर क्या होगा

चंद्रयान 2 में उत्पन्न हुई तकनीकी त्रुटियों का पूरी तरह विश्लेषण किया गया है जिसके बाद लैंडर मॉड्यूल में ऐसी व्यवस्था की गई है कि यदि दोबारा ऐसी समस्या आए तो उसका समाधान निकल आए. इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 उतरेगा, उस वक्त क्षैतिज स्थिति से 90 डिग्री ऊर्ध्वाधर स्थिति प्राप्त करना महत्वपूर्ण होगा और सॉफ्ट लैंडिंग तक उसी स्थिति को बनाए रखना होगा. उम्होंने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर के इंजन फेल होने या कुछ सेंसर काम नहीं करने की स्थिति में भी सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सभी आवश्यक इंतज़ाम किए गए हैं.

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