Chandrayaan 3 Landing: चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच देगा। इसके साथ ही एक बार फिर 23 अगस्त की तारीख इतिहास के उन स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो जाएगी, जो आने वाले भविष्य को उस स्वर्णिम काल की याद दिलाएगी जब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार किसी देश ने कदम रखा है।
क्या आपको पता है चन्द्रमा से जुड़ा खास इतिहास, जब लोगो ने चंदा मामा से आई पृथ्वी की तस्वीर को पहली बार देखा था।
57 साल पहले लोगों ने देखी चांद की पहली तस्वीर
दरअसल मून मिशन के क्षेत्र में देखा जाए तो 23 अगस्त का अपना विशेष महत्व है, आपको जानकर हैरानी होगी कि 23 अगस्त ही वो तारीख है जब 57 साल पहले 1966 में नासा के अपने मून मिशन से लुनार ऑर्बिटर वन ने चांद से पहली बार धरती की तस्वीर ली थी। हालांकि ये तस्वीर आंशिक तौर पर धुंधली और ब्लैक एंड व्हाइट थी, लेकिन मून मिशन के इतिहास में वह ऐसी सफलता थी। जिसने भविष्य के मून मिशनों की राह आसान कर दी।
क्या था नासा का लुनार ऑर्बिटर-1 मिशन
लुनार ऑर्बिटर-1 नासा का वो पहला मून मिशन था जो सफलता पूर्वक चंद्रमा की ऑर्बिट तक पहुंचने में सफल रहा। नासा का यह मिशन 10 अगस्त 1966 को लांच हुआ था। जो एक सर्वेयर मिशन था। इसका उद्देश्य नासा के भविष्य में होने वाले अपोलों मिशनों के लिए सुरक्षित लैंडिंग स्थल तलाशना था। लुनार ऑर्बिटर-1 को इस तरह डिजाइन किया गया था, जिससे ये चांद की ज्यादा से ज्यादा तस्वीर ले सके।
लुनार ऑर्बिटर-1 ने ली थी 187 तस्वीरें
लुनार ऑर्बिटर -1 चंद्रमा की सतह से 58 किमी दूर तक गया था। इसमें अपना फोटोग्राफिक मिशन 18 से 29 अगस्त 1966 तक किया था और चांद के 50 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करते हुए हाई रिजॉल्यूशन की 42 और मध्य रिजॉल्यूशन की 187 तस्वीरें ली थीं। इन्हीं में दो तस्वीरें धरती की भी थीं जो चांद की ऑर्बिट से पहली बार ली गईं थीं।
नासा से जारी की थी तस्वीर
चांद की ऑर्बिट से लुनार ऑर्बिटर-1 ने जो तस्वीर ली थी जिसे नासा न 25 अगस्त को जारी की थी। यह तस्वीर ऑर्बिटर-1 ने 23 अगस्त को ली थी, 24 अगस्त को यह नासा के स्पेन स्थित ग्राउंड स्टेशन पहुंची थी। 25 अगस्त को नासा ने मिशन की सफलता का ऐलान करते हुए सबसे पहले इसी तस्वीर को जारी किया था जो 26 अगस्त 1966 को पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थी।