Monday, September 16, 2024

Rajasthan Election 2023 : अपनों को टिकट दिला पाएंगी वसुंधरा, क्या इसके लिए आलाकमान ने रास्ता भी निकला?

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बीच एक नया अपडेट सामने आया है वसुंधरा राजे सिंधिया और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बीच जारी अनबन को लेकर एक अच्छी ख़बर आ रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों ने समझौतों की राह पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। असम के राज्यपाल गुलाब चंद्र कटारिया से दो दिन पूर्व हुई वसुंधरा की मुलाकात के बाद ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस बात की जानकारी केंद्र सरकार को मिल चुकी है। केंद्र ने भी उनकी चिंताओं का समाधान करने का आश्वासन दिया है। वहीं अब कहा ज जा रहा है कि भाजपा की एक बड़ी परेशानी टलती दिखाई पड़ रही है।

करीबियों को टिकट के लिए इंतजार

सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि नेताओं के आपसी मिलाप के बावजूद भी वसुंधरा के कुछ करीबियों को टिकट के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी अभी भी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। प्रदेश भर में 25 नवंबर को मतदान होगा और चुनावी परिणाम 3 दिसंबर को जारी किया जाएगा।

स्वागत करने के लिए पार्टी के नेता उपस्थित

आपको बता दें कि बुधवार को राजस्थान के कोटा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहुंचे थे। यहां उनका स्वागत करने के लिए पार्टी के सभी शीर्ष नेता मौजूद थे। लेकिन इस मौके पर वसुंधरा राजे सिंधिया का चेहरा नहीं दिखा लेकिन झालावाड़ से सांसद उनके बेटे दुष्यंत सिंह नड्डा का स्वागत करने के लिए वहां मौजूद थे। बता दें कि बीजेपी ने यात्राओं के जरिए राजस्थान में अपनी ताल ठोंकने की मुहिम शुरू की है। पार्टी अध्यक्ष नड्डा ने यहां पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा भी की। वहीं एक ख़बर तेजी से सामने आ रही है कि भजपा की दूसरी लिस्ट जल्द ही जारी हो सकती है।

दबाव में आकर किसी को टिकट नहीं

भाजपा सूत्रों के अनुसार, इस बार पार्टी चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रही है। इसलिए टिकट बांटते समय केवल जीत के फैक्टर पर ध्यान दिया जा रहा है। किसी नेता का करीबी होना जीत की गारंटी नहीं है। विपक्षी दल के उम्मीदवारों को ध्यान में रखते हुए उसी उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा, जो पार्टी के लिए जीत की गारंटी बन सके। बता दें कि बीजेपी दूसरी लिस्ट में किसी नेता के दबाव में किसी को टिकट नहीं देने जा रही है। इसके लिए भाजपा के आंतरिक सर्वे और RSS से मिले फीडबैक को भी आधार बनाया गया है। चुनाव क्षेत्र का जातीय अंकगणित भी प्रत्याशियों का नाम तय करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है।

आखिर किस चर्चा से भाजपा हो गई परेशान

दरअसल, वसुंधरा राजे सिंधिया कुछ दिन पहले तक राज्य के अलग-अलग इलाकों में दौरे कर पार्टी के CM पद पर अपना दावा ठोंक रही थीं लेकिन पार्टी ने इस बार PM नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव में जाने का फैसला किया। इसके बाद से ही बताया जा रहा था कि पार्टी के इस फैसले से वसुंधरा राजे सिंधिया नाराज है। बता दें कि उनके करीबियों का यहां तक कहना है कि वसुंधरा ने अपने कुछ खास लोगों को चुनाव के लिए तैयार रहने का संदेश दिया था। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि यदि बीजेपी उनको टिकट नहीं देती है तो वे स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतर सकते है। इस ख़बर को सुनने के बाद ही राज्य में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक दूसरी लिस्ट में बीजेपी महारानी को मौका दे सकती है।

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