जयपुर। राजस्थान में रेलमगरा क्षेत्र के सांसेरा में स्थित करीब 1300 बीघा भूभाग में फैला तालाब के बीच में स्थित जलदेवी माता का एक मंदिर है। इस मंदिर के होने से यहां की प्राकृतिक और भी सुन्दर दिखती है। बता दें कि दूरदराज के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की झुंड इस मंदिर में मां के दर्शन मात्र से पहुंचते है। यहां पहुंचने वाले भक्त माता से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। वहीं, यहां आने के बाद पूरे मंदिर परिसर का भ्रमण कर प्राकृतिक सौंदर्य का भी लुफ्त उठाते हैं।
युद्ध से जुड़े यहां के इतिहास
बता दें कि महाराणा प्रताप एवं अकबर के युद्ध से जुड़ा इस मंदिर का इतिहास है। इस इतिहास की ख़बर आमजन तक पहुंचाने के मकसद से इस स्थान को अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है, इस योजना के तहत यहां म्यूजियम का भी निर्माण किया जाएगा। बता दें कि यहां महाराणा प्रताप की एक प्रतिमा के साथ एक स्मारक भी बना हुआ है, जो तालाब के निकट ही स्थित है। पर्यटकों के लिए 2 किलोमीटर तक की सडक़ का चौड़ाईकरण, तालाब की पाल पर ढाई किलोमीटर सुरक्षा दीवार का निर्माण और बच्चों के मनोरंजन के लिए यह योजना बनाई गई है।
25 बीघा जमीन भी आरक्षित की गई
यहां करीब 25 बीघा जमीन म्यूजियम विकास के लिए भी आरक्षित की गई है। तालाब के मध्य स्थित माता रानी का मंदिर तालाब के भरने पर जल में डुब जाता है, जिससे यहां पहुंचने वाले भक्त को पानी से होकर दर्शन के गुजरना काफी आनन्दित करता है। वहीं बता दें कि माता रानी का मूल मंदिर पानी में समाहित हो जाने से भक्त को माता का दर्शन के लिए माता रानी का छवि ऊपरी छतरी पर बनाई गई है। जिससे यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु को दर्शन करने में सहूलियत मिले। माना जाता है कि इस मंदिर में पहुंचने वाले सभी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है।
नवरात्रा के उपलक्ष में दंडवत यात्रा
आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रा के उपलक्ष में रात्रि के समय सेंड माता दण्डवत यात्रा लसानी से शुरू हुई उसके बाद बुधवार को माता के मंदिर में पहुंची। इस अवसर पर गोविंदसिंह, नवलसिंह, सत्यनारायण पुरोहित, बबलू, राजेश कुमार सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।