जयपुर। सोमवार को उदयपुर में स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव परिसर में काशी सुमेरु पीठ के जगत गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि देश में हो रहे नैतिक अवमूल्यन के लिए हमारी शिक्षा और शिक्षा व्यवस्था दोनों जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में सच बोलने के लिए गीता की कसम खिलाई जाती है लेकिन भारत में गीता को पढ़ाया नहीं जाता। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत सनातन है, सनातन के संस्कार वेद पुराण सहित ग्रंथो में समाई हुई है, लेकिन उनका पठन-पाठन हमारे देश के पाठ्यक्रम का भाग नहीं है। उन्होंने संविधान में संशोधन का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब तक भारत के संविधान में संशोधन कर सनातन धर्म ग्रंथियां को पठन-पाठन में शामिल नहीं किया जाएगा तब तक भारत अपने सनातनी सभी प्रकार के संस्कारों को भूलता जाएगा।
दो दिवशीय दौरे पर
बता दें कि जगतगुरु सोमवार को दो दिवशीय प्रवास के तहत उदयपुर आए हुए है। इस कड़ी में जगतगुरु ने कहा कि अंग्रेजों से आजादी के बाद देश में जो संविधान बना उसके नियमों ने हमारे सनातनी ग्रंथ को दरकिनार कर दिया है।
नेताओं का काम ईटिंग मीटिंग चीटिंग करना
उदयपुर दौरे पर जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि आज के नेताओं का काम बस ईटिंग मीटिंग चीटिंग करना रह गया है। अगर आज कि भारत की बात करें तो आज देश में सनातन के लिए ईश निंदा जैसे कानून व्यवस्था की जरूरत है। देश में रहकर देश को गाली देने वाले को फांसी देने की सजा होनी चाहिए। इसलिए भारत की संविधान में संशोधन के अत्यंत आवश्यकता है। इस दौरान उन्होंने न्याय प्रणाली में सुधार की जरूरत को बताते हुए कहा कि मौजूदा में 5 करोड़ लंबित ऐसे मुकदमे हैं जो पता नहीं कब तक सुलझेगा। ऐसे मुकदमे पर एक माह में निर्णय लेना जरुरी है। शंकराचार्य ने कहा कि यही स्थिति देश की ब्यूरोक्रेसी का भी है । इस स्थिति को देखते हुए आज के शासकों को सोचना होगा और देश की स्थिति को बदलने की शपथ लेनी होगी।
इसराइल और हमास के सवाल पर
जब जगतगुरु शंकराचार्य से इजरायल और हमास के युद्ध पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आतंकी हमले का संरक्षण और संवर्धन कभी मान्य नहीं हो सकता। ऐसे लोग जो हमास का समर्थन कर रहे हैं, वह भारत की बर्बादी का आईना दिखने वाले लोग हैं। साथ कहा कि अगर इसराइल की बात करें तो उसने अपनी आत्मरक्षा के लिए जो किया है, कोई भी देश अगर उसके जगह पर होता तो यही करता। इस कड़ी में उन्होंने कहा कि भारत को भी पूर्व में की गई गलतियों को सुधारना होगा और कश्मीर पर नहीं बल्कि सिंध पर वार्तालाप करनी पड़ेगी। शंकराचार्य ने कहा कि विजयदशमी पर शस्त्र पूजन अवश्य करें क्योंकि दशहरे को विजय के प्रतीक के रूप में हर सनातनी मनाते रहे हैं ।
महायज्ञ की पूर्णाहुति में शामिल हुए
सोमवार सुबह जगतगुरु उदयपुर पहुंचे। उदयपुर में चातुर्मास परिषद में निरंजनी अखाड़ा के दिगंबर खुशाल भारती महाराज महायज्ञ के बाबा और आचार्य कालीचरण ने उनका स्वागत सत्कार किया। इस संबंध में मीडियाकर्मी मनोज जोशी ने बताया कि सोमवार को शंकराचार्य शाम 4 बजे चातुर्मास परिसर में चल रही देवी भागवत पुराण कथा में पहुंचे और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद के रूप में वचन प्रदान किए। वहीं उन्होंने बताया कि दशहरे पर मंगलवार को होने वाली महायज्ञ की पूर्णाहुति में जगतगुरु का सानिध्य मिलेगा।