जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू है। प्रदेश भर में चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 30 अक्टूबर से शुरू होकर 6 नवंबर तक चली है। ऐसे में राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरनपुर विधानसभा क्षेत्र से तीतर सिंह ने नामांकन भरा है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि तीतर सिंह 32वीं बार चुनावी रणभेरी में उतरे हैं। तीतर सिंह का उम्र 78 वर्ष है और वह कहते हैं कि हार आदमी का हौसला तोड़ देती है लेकिन महज 78 साल के तीतर सिंह का हौसला तो पहाड़ों के चट्टान से भी ज्यादा मजबूत है। बता दें कि उनके जुनून के आगे हार का कद छोटा प्रतीत होता है। वहीं उन्हें लोकसभा चुनाव से लेकर सरपंच के चुनाव में महज 31 बार हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद भी वह इस साल चुनावी मैदान में उतरे हैं। बता दें कि उन्होंने 32वीं बार करणपुर विधानसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया है।
जमानत हर बार जप्त हुई
हर बार तीतर सिंह के जमानत जप्त हुई लेकिन उन पर चुनाव लड़ने का जोश हमेशा सवार रहा है। वह कहते हैं कि जनप्रतिनिधि बनकर वह गरीबों का कल्याण करना चाहते हैं और इसके साथ उनका कहना है कि इतने नामांकन भरने पर उनका नाम गिनीज बुक में रिकॉर्ड किया जाए। वहीं स्थानीय लोग तीतर सिंह को श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र का धरतीपकड़ भी कहने लगे हैं।
1985 में पहली बार चुनाव लड़े
तीतर सिंह श्रीकरनपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव 25 एफ गुलाबेवाला के स्थानीय निवासी हैं। उन्होंने पहली बार 1945 में विधानसभा चुनाव में पहला नामांकन भरा था। इसके पश्चात वह हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव के साथ सरपंच और पंचायत समिति सदस्य के लिए नामांकन पत्र भरते रहे हैं। वहीं अगर बात इनकी शिक्षा की करें तो इन्होंने केवल पांचवी तक की पढ़ाई की है लेकिन बढ़ते उम्र के साथ अब वह पढ़ना-लिखना भूल गए हैं लेकिन अपना हस्ताक्षर कर लेते हैं।
कई बार बेची बकरियां
आपको बता दें कि तीतर सिंह का परिवार जीविका उपार्जन के लिए दिहाड़ी मजदूरी कर काम चलता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें कई बार अपने नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए बकरियां और घर का सामान भी बेचना पड़ा। मौके पर तीतर सिंह ने बताया कि दो दर्जन बकरियां थी अब सिर्फ तीन बची हुई है। खास बात यह है कि इस साल के विधानसभा चुनाव में वह उधार और चंदा लेकर नामांकन दाखिल किए हैं। मौके पर तीतर सिंह बताते हैं कि बुजुर्ग होने के कारण उनके दोनों पुत्र ही उनका और उनकी पत्नी गुलाब कौर का सहारा है।