जयपुर। राजस्थान के सियासी गलियारों में चुनावी सरगर्मियां बढ़ती जा रही है। प्रदेश में चुनाव की तारीख कि उल्टी गिनती भी शुरु हो चुकी है। अब सिर्फ नौ दिन ही शेष रह गए हैं। ऐसे में तमाम पार्टियों और उनके प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। यही नहीं प्रदेश में दिग्गज नेताओं की सभाएं भी शुरू हो चुकी हैं। वहीं अगर बात करें मेवाड़ की तो 9 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने उदयपुर में जनसभा को संबोधित किया था। अब ऐसे में गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले में एक के बाद एक-एक चार जनसभाएं होनी हैं।
शुभ कार्य से पहले त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन
बता दें कि पूर्व मुख्यमंंत्री की यह चारों जनसभाएं जनजातीय क्षेत्र की 11 विधानसभाओं को कवर करेंगी। बताया जा रहा है कि इन क्षेत्रों में बीजेपी ,कांग्रेस से पीछे है। वहीं उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे मेवाड़ और वागड़ में भी लगातार दौरे करती रही हैं। उनका कहना है कि वो शुभ काम करने से पहले बांसवाड़ा स्थिति त्रिपुरा सुंदरी जरूर पहुंचती हैं। यही नहीं पिछले महीने उन्होंने देव दर्शन यात्रा भी की थी। अब वह वागड़ क्षेत्र में एक ही दिन में चार जगहों पर पहुंचने वाली हैं।
इन क्षेत्रों का करेंगी दौरा
गौरतलब है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे आज जयपुर से रवाना होकर प्रतापगढ़ जिले के अरनोद तहसील स्थित प्रसिद्ध गौतमेश्वर महादेव पहुंचेंगी। जहां उनकी आमसभा होनी है। बता दें कि यहां दो विधानसभा सीटे हैं, धरियावद और प्रतापगढ़। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां से वह डूंगरपुर जिले के दोवड़ा क्षेत्र के लिए प्रस्थान करेंगी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री बांसवाड़ा जिले के गढ़ी विधानसभा क्षेत्र में जाएंगी। वहां से वह बांसवाड़ा शहर जाएंगी।
ये सीटें हैं बीजेपी-कांग्रेस के लिए खास
दरअसल, वसुंधरा राजे आज जिन-जिन विधानसभाओं में जा रहीं हैं, वहां के अधिकतर क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं अगर उदयपुर संभाग कि 28 विधानसभा सीटों पर गौर करें तो इनमें से 17 सीटें आरक्षित हैं। जिसमें 16 सीटें एसटी यानी जनजातीय हैं। यह सीटें दोनों पार्टियों (बीजेपी और कांग्रेस) के लिए काफी मायने रखती हैं। बता दें कि यहां वसुंधरा राजे के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का भी दौरा होना है। इसके साथ ही पीएम मोदी भी यहां पर जनसभा करने के लिए आएंगे।
जानिए क्यों बढ़ी चुनौतियां
फिलहाल लगातार इन बड़े नेताओं के दौरे का कारण इस महा मुकाबले का बढ़ जाना भी है। ऐसा इस लिए है क्योंकि पहले यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा होती थी। वहीं अब यहां भारतीय आदिवासी पार्टी और भारतीय ट्राइबल पार्टी भी मैदान उतर चुके हैं। अब ऐसे में यहां बीजेपी-कांग्रेस के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।