जयपुर। देश का रक्षा करते हुए हर वर्ष भारतीय सैनिक सैकड़ो की संख्या में अपना बलिदान देते आ रहे है। ऐसे में बता दें कि राजस्थान की माटी में जन्मे जयपुर से अमित भारद्वाज भी अपना जीवन देश के नाम कर गए। सबसे दुखद बात यह हुई कि अमित के मरणोपरांत भी उनका चेहरा उनकी फैमिली नहीं देख सकी।
आइए जानते हैं पूरा मामला –
कारगिल के युद्ध में लेफ्टिनेंट ‘अमित भारद्वाज‘ को गोलियां लगी। गोली लगने के बाद भी वे पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीठ दिखाने के बजाए उनसे जमकर बदला लिया। बता दें कि लेफ्टिनेंट ‘अमित भारद्वाज‘ अपनी युवा उम्र महज 27 वर्ष की आयु में शहीद हो गए। बलिदान होने का कारण बताया गया है कि उन्हें कारगिल की युद्ध के दौरान गोली लग गई। ऐसे में ये जांबाज भारत माता का सपूत दुश्मनों से लौहा लेते हुए शहीद हो गया और पूरे देश को गौरवान्वित कर गया।
साठ दिनों तक शव पहाड़ों पर पड़ा रहा
कारगिल सेक्टर में बजरंग चौकी के निकट लेफ्टिनेंट अमित शहीद हुए थे और वह क्षेत्र उस दौरान पाकिस्तानी घुसपेटियों के कब्ज में था और ऐसे में साठ दिनों तक लेफ्टिनेंट अमित का शव पहाड़ों पर पड़ा रहा। ऐसे में यह ख़बर पूरे देश भर के लिए बेहद ही दर्दनाक रहा।
आखिरी बार भी घरवाले नहीं देख पाए चेहरा
शहीद अमित के मां-बाप और परिवार के अन्य सदस्य को अपने लाड़ले ‘अन्नू‘ का आखिरी बार चेहरा तक नसीब नहीं हो पाया। बता दें कि 60 दिनों तक पहाड़ पर पड़े शव का चमड़ी तक गल चुका था। ऐसे में जब उनके शवों को उनके घर लाया गया तो ताबूत खोले बिना ही सभी धार्मिक क्रियाएं निपटाई गई थी। बता दें कि उनकी चिता पर भी भारत माता का इस सपूत का शव ताबूत के साथ ही रखा गया और नम्र आँखों से इस वीर सपूत की अंतिम विदाई दी गई। यहीं नहीं अमित को फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था। अपने खींचे फोटो के 15 एलबम उनके पास मौजूद थे।