जयपुर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या के समय पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया. 76वां गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर भारत सरकार यह फैसला की है। देश के विभिन्न क्षेत्रों विज्ञान, उद्योग, कला, सामाजिक कार्य, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, इंजीनियरिंग, व्यापार, खेल से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने का ऐलान किया गया, देश भर की कुल 34 हस्तियों का नाम इस लिस्ट में शामिल हैं. बता दें कि राजस्थान के 4 कलाकारों को भी पद्मश्री सम्मान से नवाजने की घोषणा की गई है, जिसमें अली-गनी बंधु जो मांड गायकी के बादशाह है व मांड गायकी के बादशाह भीलवाड़ा के जानकी लाल जो ‘बहरुपिया कलाकार’ भी है और लक्ष्मण भट्ट तैलंग जो जयपुर के ध्रुवपद गायक हैं, इन हस्तियों का नाम शामिल है। अपनी कला को सजाने सहेजने में इन सभी कलाकारों का जीवन बीता. इनका योगदान केबल अपनी कला को समृद्ध करना ही नहीं बल्कि उसे एक नए मुकाम तक ले जाने एवं इसकी अलग पहचान देश-विदेश में दिलाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है.
इनमें हैं दो सगे भाई
अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद बीकानेर के तेजरासर जैसे छोटे से गांव से निकलने वाले दो सगे भाइयों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है। ग़ज़ल गायकी को नए मुकाम पर दोनों भाइयों की जोड़ी ने पहुंचाया है. ग़ज़ल को सुगम और सहज संगीत के साथ अली- गनी बंधुओं ने जोड़ा. इतना नहीं इनका बड़ा नाम राजस्थान की पारम्पारिक मांड गायकी में भी दर्ज है. कई हिंदी फिल्मों के साथ-साथ ग़ज़ल गायकों पंकज उदास, मनोहर उदास और अनूप जलोटा के लिए भी दोनों भाइयों की जोड़ी ने संगीत दिया है.
ध्रुवपद गायकी के गुरु हैं तैलंग
जयपुर निवासी 93 वर्ष के ध्रुवपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग को भी पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा. ध्रुवपद गायकी के लक्ष्मण भट्ट महान कलाकार हैं. बता दें कि काफी कठिन गायन के रूप में ध्रुवपद गायकी को माना जाता है. इस गायन में साहित्य और संगीत की बेहद ही खूबसूरत जुगलबंदी दिखती है. इस संगीत में साहित्यिक और गायन के निश्चित नियम बनाए गए हैं और इस गायन इस नियम के अनुसार ही गाया जाता है. खास बात यह है कि इतनी उम्र होने के बाद भी वो आज भी ध्रुवपद गायकी की शिक्षा नई पीढ़ी को देते हैं.
‘बाबा बहरूपिया’ होंगे सम्मानित
भीलवाड़ा निवासी जानकी लाल ‘बाबा बहरूपिया’ को भी गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा. बता दें कि भीलवाड़ा के बहरूपिया को लोग बाबा के नाम से जानते हैं. मौजूदा दौर में बहरूपिया कला एक विलुप्त होती कला शैली के लिस्ट में शामिल है. लेकिन बहरूपिया कला की महारत जानकी लाल के पास हासिल है. करीब 6 दशक यानी 60 वर्ष से भी अधिक समय से वह वैश्विक दर्शकों को इस लुप्त होती हुई कला शैली से अपना कला दिखा रहे हैं.