जयपुर। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को PM मोदी के मौजूदगी में संपन्न हुआ। ऐसे में वहां से PM मोदी जब लौटे तब उनके द्वारा प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा की गई. जिसके बाद इस योजना की चर्चाएं जोरों सोरो से चल रही है. क्योंकि इस योजना के तहत 1 करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे. उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ जिले के रहने वाले युवा वैज्ञानिक नितेश तिवारी का रिसर्च भी इस योजना में शामिल है. तो ऐसे में जानते है, इसके पीछे की पूरी कहानी.
युवा वैज्ञानिकों में नितेश हुए थे चयनित
पिछले साल बड़े चैलेंज की समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने युवा वैज्ञानिकों की भर्ती निकाली थी. देशभर के युवाओं ने इसमें भर्ती के लिए आवेदन किया था. बता दें कि हजारों युवाओं की संख्या में से सिर्फ 8 युवाओं का ही चयन हुआ है. रोचक बात यह है कि इन 8 युवाओं में चित्तौड़गढ़ जिले के रहने वाले नितेश तिवारी का नाम भी शामिल हैं. पूरे राजस्थान से सिर्फ नितेश तिवारी का नाम ही लिस्ट में आया था. दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में नितेश अभी बीटेक कर रहे हैं. वो कंप्यूटर साइंस के दूसरे वर्ष के छात्र हैं.
ग्लोबल वार्मिंग था रिसर्च का टॉपिक
नितेश ने बताया कि 3 माह के लिए हमारा अपॉइंटमेंट हुए था. इस दौरान सरकार हमें 10 हजार रुपए प्रतिमाह की स्कॉलरशिप के साथ-साथ अन्य खर्चे दे रही थी. हमे अलग-अलग विषयों पर तीन माह में रिसर्च कर कॉपी सबमिट करना था और उससे कैसे निपटा जा सके उसके लिए हमे सुझाव भी देने थे. इस दौरान नितेश ने बताया कि मुझे टॉपिक मिला था ग्लोबल वार्मिंग. इसके लिए हमने रिसर्च शुरू की. इस रिसर्च के लिए हमने कई सरकारी वेबसाइट से आंकड़े जुटाए. नेशनल थर्मल पावर प्लांट भी विजिट की. अपनी रिसर्च 3 माह में पूरी की. नितेश का कहना है कि मैंने सुझाव दिए और इन सुझावों को सभी आईएएस अधिकारियों ने माना। वहीं केंद्र इस पर पहले से ही विचार कर रहा था.
सुझाव पर ही बनी योजना
आपको बता दें कि नितेश से जब मीडिया ने इसके पीछे की सफलता पूछी तब उसने बताया कि अपनी रिसर्च की फाइंडिंग के डॉक्यूमेंट्स केंद्र को पेश किए जिसमें सुझाव था कि एनर्जी जनरेट से निकलने वाली जहरीली गैसों से कैसे निजात पाया जा सकता हैं. इसमें सुझाव के तौर पर बतलाया गया है कि लगभग 71 प्रतिशत बिजली थर्मल पावर प्लांट से भारत में बनती है. जहरीली गैस इससे उत्सर्जित होती हैं, जो बेहद ही नुकसानदायक है. सुझाव में यह भी बताया गया कि थर्मल पावर प्लांट को रिन्यूएबल पावर प्लांट में बदलने पर विचार करना जरुरी है। दूसरा सुझाव के रूप में यह दिया गया कि जहरीली गैसों को सीधे वातावरण में उत्सर्जित करने की बदले उसे कम हानिकारक पदार्थों में बदलना जरूरी है. बड़े सोलर एनर्जी प्लांट की जगह रूफ टॉप सोलर सिस्टम पर विचार करना चाहिए. इन्हीं सुझावों से पर्यावरण को फायदा मिल सकता है।