Saturday, November 9, 2024

SMS Hospital: किडनी मरीजों की संख्या बढ़ी, हॉस्पिटल के लंबे इंतजार से जा रही जान

जयपुर। देश भर में लगातार गुर्दे की मरीजों की संख्या में उछाल देखा जा रहा है। ऐसे में राजस्थान स्वास्थ विभाग की बात करें तो, यहां भी किडनी की बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है। प्रदेश के अस्पतालों का अब हालात ऐसा हो गया है कि किडनी मरीजों को डायलिसिस के लिए अस्पतालों के लंबे इंतजार से गुजरना पड़ता है। जिस वजह से मरीजों की जान अधिक जा रही है।

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 602 मरीज पंजीकृत

बता दें कि 602 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए राजस्थान में पंजीकृत हैं। जानकारी के लिए बता दें कि किडनी के लिए डोनर्स की संख्या बहुत कम होती है, दूसरी तरफ इस वजह से किडनी रिसीवर की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक करीब 11 प्रतिशत किडनी रोगी हर वर्ष बढ़ रहे हैं। इस कारण अस्पतालों के डायलिसिस सेंटर पर भी अधिक प्रेशर बढ़ा हुआ है। ऐसे में प्रदेश में किडनी प्रत्यारोपण करवाने वाले रोगियों की संख्या अधिक लंबी हो रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया आंकड़ा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन द्वारा जारी की गई आंकड़ों के मुताबिक पांच सालों में भारत में ट्रांसप्लांट किए गए शीर्ष तीन अंग में किडनी शामिल है। जिसमें 43983 किडनी प्रत्यारोपण हुए हैं, जो कुल का 75 फीसदी डेटा बताता है। ऐसे में बता दें कि प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल सवाईमानसिंह अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण के लिए 256 मरीज अभी वेटिंग में है।

डायलिसिस के लिए भी वेटिंग

प्रदेश के बाड़मेर मेडिकल कॉलेज से लेकर संबंद्ध राजकीय अस्पताल में डायलिसिस के लिए मरीजों को काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। बता दें कि डायलिसिस की जरुरत हर हफ्ते में होती है। ऐसे में मरीजों की संख्या काफी अधिक है और हॉस्पिटल में डायलिसिस के लिए महज तीन मशीन लगाई हुई है। जिस कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साल 2023 में कुल 2086 डायलिसिस सेंटर में हुई।

साल में 8-10 प्रत्यारोपण

एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर, गुर्दा रोग विशेषज्ञ ने इस संबंध में कहा कि जिला स्तर पर भी इसके लिए सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए। SMS हॉस्पिटल में हर साल 8 से 10 कैडेवरिक किडनी ट्रांसप्लांट हो रहा है। अगर यही हालात रहा तो सभी मरीजों के ट्रांसप्लांट करने में करीब 25 साल से अधिक लगेगा, जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

भारत विश्व रैंकिंग में दूसरे पायदान पर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार प्रति वर्ष करीब 2 लाख भारतीयों के गुर्दै खराब होने की वजह से प्रत्यारोपण की जरुरत पड़ती है। बता दें कि किडनी प्रत्यारोपण के मामले में भारत विश्व रैंकिंग में अमरीका के बाद दूसरे पायदान पर है।

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