Electricity Pole on High Way: जो तस्वीर आप देख रहे हैं, वो अपने आप एक कहानी सुना रही है। दो तस्वीरों में आप देख सकते है हाईटेंशन बिजली तार का पोल बीच सड़क पर स्थित है। आम तौर पर ऐसी तस्वीरें गली-मोहल्लों या गांव में देखने को मिलती है। जिसमें गली की सड़कों पर बिजली का खंभा गड़ा होता है. लेकिन यह दो राज्यों को जोड़ने वाली हाईवे पर हाईटेंशन बिजली का पोल गड़ा होने का देश का संभवता यह पहला मामला है। इससे इस हाईवे से होकर गुजरने वाले लोगों को हादसे का डर बना रहता है।
हाईवे की कहानी
लापरवाही की हद वाली यह तस्वीर राजस्थान से सामने आई है। जिस हाईवे पर 132 KV बिजली पोल का खंभा लगा है, वह 2 राज्यों गुजरात और पंजाब को जोड़ता है. मिली जानकारी के अनुसार कांदलापोर्ट (गुजरात) से पंजाब को जोड़ने वाली NH 68 पर बाड़मेर में इस तरह का निर्माण हुआ है. NH 68 का लगभग 28 किमी का हिस्सा बाड़मेर में भी पड़ता है। जो खदान क्षेत्र के बीच से गुजरता है। अभी इस हाईवे का निर्माण कार्य जारी है। लगभग 80 प्रतिशत काम हो चुका है. लेकिन बिजली पोल के नीचे से हाईवे बनने से पूरा काम ही सवालों के घेरे में आ गया है। राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर शहर से महज कुछ ही दूरी पर Highway पर हाई टेंशन बिजली का खंभा है. हाई टेंशन विद्युत लाइन हटाएं बिना ही हाईवे निर्माण कंपनी ने हाईवे बना दिया है।
कोयला खदान इलाके के कारण हाईवे को किया गया शिफ्ट
आपको बता दें कि बाड़मेर से गुजरने वाला हाईवे NH 68 का जालीपा से भाड़खा तक का करीब 28 किलोमीटर हिस्सा कोयला खदान क्षेत्र में आ गया है। इसके बाद Highway को शिफ्ट करने के लिए जालीपा से चूली भादरेश से होता हुआ भाडखा का तक नए रूट पर हाइवे शिफ्ट का कार्य शुरू हुआ और इस हाइवे के निर्माण को लेकर 160 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया. लेकिन बावजूद इसके हाइवे निर्माण कंपनी और ठेकेदार ने बिना लाइन शिफ्ट किए ही Highway बना दिया और आमजन को हमेशा हादसे का खतरा बना हुआ है। ऐसे में अगर आने वाले दिनों में कोई हादसा होता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? प्रशासन या ठेकेदार?
हाईवे का 80 फीसदी काम पूरा
बता दें, हाईवे की शिफ्टिंग का काम साल 2022 में शुरू हो गया था। करीब 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। सिर्फ रास्ते में आने वाले बरसाती नालों पर पुलिया बनाने का काम बाकी है। ऐसे में हाईवे के बीचो-बीच हाई स्टेशन विद्युत लाइन और पोल होने के चलते ठेकेदार की कार्य प्रणाली पर बड़े सवाल या निशान खड़े हो रहे हैं।