जयपुर। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में भारतीय स्टेट बैंक को बड़ा झटका दिया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने SBI को आज यानी 12 मार्च शाम तक बांड्स से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी चुनाव आयोग के हवाले करने का निर्देश दिया है। ऐसे में देश भर के नेताओं और मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। इस संबंध में राजस्थान क पूर्व CM अशोक गहलोत ने भी अपनी प्रतिक्रिया मीडिया के समक्ष साझा की हैं।
पूर्व CM गहलोत ने कहा…
सोमवार यानी 11 मार्च को जयपुर एयरपोर्ट पर प्रदेश के पूर्व मुखिया अशोक गहलोत ने मीडिया से अलग-अलग मुद्दों पर बात करते हुए केंद्र यानी मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इस कड़ी में उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड और मोदी की गारंटी को मुद्दा बनाते हुए राजनीतिक संदर्भ में जमकर बोले। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरण जमा करने के बारे में दिए गए निर्देश का स्वागत किया.
आज SBI को देनी है बांड्स की जानकारी
बता दें कि SC ने SBI को जमकर फटकार लगाते हुए कहा है कि आज यानी 12 मार्च शाम तक इलेक्टॉरल बॉन्ड का विवरण सबमिट करें एवं 15 मार्च तक सभी प्रकार की जानकारी सार्वजनिक करें. इस संबंध में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का SBI इलेक्टोरल बॉन्ड की आवश्यक जानकारी 12 मार्च तक जमा करने का आदेश स्वागत योग्य और लोकतंत्र संरक्षण के लिहाज से महत्वपूर्ण है. इसके साथ उन्होंने काह कि इस मुद्दे पर SBI का समय मांगना उसके भरोसे और पारदर्शिता पर संदेह पैदा करता है.
मोदी की गारंटी पर उठाए कई सवाल
पूर्व CM ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो में अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश में घूम कर गारंटी की बात करते हैं. चुनाव के पूर्व उन्होंने राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने की बात कही थी. PM मोदी ने कहा था कि चुनाव होते ही मूल्यों की समीक्षा की जाएगी, लेकिन राजस्थान में यह गारंटी धरी रह गई. गहलोत ने पूछा कि 3 महीने होने के बावजूद अभी तक समीक्षा क्यों नहीं की गई.
जानें Electoral Bond हैं क्या
भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना का एलान साल 2017 में की थी। इस योजना को केंद्र सरकार ने 29 जनवरी 2018 को कानूनन लागू कर दिया था। आसान भाषा में इसे अगर हम समझें तो इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है। यह एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है।