जयपुर : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अपना अलग एक महत्व होता है. महीने में 2 और पूरे साल में कुल 24 एकादशी होते हैं. लेकिन इन एकादशियों में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का अधिक महत्व है. इसे हम निर्जला एकादशी, भीमसेन एकादशी भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अगर कोई इंसान इस एकादशी के व्रत को करता है तो उसे साल के 24 एकादशी व्रत का फल मिलता है. खास बात है कि महाभारत काल में इस व्रत को पांडवों ने भी रखा था.
17 जून को रखा जाएगा व्रत
एकादशी के कथा के मुताबिक भीमसेन को सबसे अधिक भूख लगती थी. लेकिन उन्होंने भी इस व्रत को किया था. इसलिए इस व्रत को सभी एकादशी में सर्वश्रेष्ठ एकादशी कहा गया है. इस व्रत को लेकर ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 16 जून दिन रविवार को रात 2:54 बजे से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। जो अगले दिन सोमवार को पूरे दिन रहेगा. इसलिए यह व्रत 17 जून सोमवार के दिन ही किया जाए तो अधिक शुभ होगा।
ऐसे करें पूजा पाठ
हिंदू शास्त्रों के मुताबिक निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद भगवान विष्णु का पूजा-पाठ करें। साथ ही व्रत का संकल्प लें. ऐसे इस व्रत को कठिन व्रत कहा जाता है. क्योंकि ज्येष्ठ माह में भीषण गर्मी पड़ती है और इस भीषण गर्मी में बिना जल लिए जो भी भक्त इस एकादशी व्रत को रखता है, उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता हैं।
मिलता है 24 एकादशी का फल
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जो भक्त पूरे साल एकादशी का व्रत नहीं रखता है, अगर वो इस निर्जला एकादशी का व्रत करता है तो उसे पूरे साल के 24 एकादशी का फल मिलता है. इसके साथ भगवान विष्णु खुश होते हैं और भक्त को ढेर सारा आशीर्वाद भी देते हैं।