जयपुर। राजस्थान के भरतपुर जिले में बच्चों का मुंडन कराने और उनको बुरी नजर से बचाने के लिए कुआं वाला मेला लगता है। आषाढ़ के प्रत्येक सोमवार को लोग कुआं वाले बाबा के पास आते है उनके दर्शन के लिए। कुआं वाले बाबा की जात के मेले में लोग अपने बच्चों को लेकर पहुंचते हैं। मेले में बच्चों को मुंडन कराकर मुर्गे से आशीर्वाद लिया जाता है। इतना ही नहीं इस मेले में झाड़-फूंक का भी काम किया जाता है। जिसके लिए भारी मात्रा में लोग यहां पहुंचते हैं।
सैकड़ो की संख्या में महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आती हैं
बताया जा रहा है कि बच्चों के मुंडन कराने, उनको नजर- गुजर और भूत-प्रेत के साए से बचाने के लिए मुर्गे का आशीर्वाद लिया जाता है। यह मेला हर साल आषाढ़ के महीने के हर सोमवार को लगता है। जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पास लगने वाले इस मेले में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं अपने छोटे बच्चों को लेकर आती हैं। वहां मुर्गे वालों की भी खूब कमाई होती हैं। जो बच्चों को सिर पर मुर्गा फेरते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि मेला कुआं वाली जात के नाम से भी जाना जाता है।
बुरी नजर बचाने के लिए लिया जाता है मुर्गे का आशीर्वाद
जो आषाढ़ के महीने के हर सोमवार को लगता है। कुआं वाली जात के मेले में लोग अपने छोटे बच्चों को लेकर आते हैं। यहां उनके बाल कटवाते हैं। मुंडन के बाद मुर्गे द्वारा उनको आशीर्वाद दिलाया जाता है। मुर्गें के आशीर्वाद से बच्चे किसी भी प्रकार की बुरी नजर से बचे रहते हैं। बता दें कि मेले में आने से पहले लोग रात पुआ-पकौड़ी और पूड़ी सब्जी बनाकर रखते हैं। सुबह मेले में पूजा-अर्चना करने के बाद वहीं बैठकर खाना खाते हैं। भारी मात्रा में लोग अपने नवजात शिशुओं को लेकर मेलें में पहुंचते हैं। यह चाहे अंधविश्वास हो मगर लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ हैं।