Sunday, September 8, 2024

Cultural News : राजस्थान के ये है प्रमुख मेले, जानें सबसे प्राचीन मेला कौन?

जयपुर : राजस्थान में अक्सर कोई न कोई मेले का आयोजन होते ही रहता है। ऐसे में मरुस्थल की धारा पर एक से बढ़ कर एक मेले और त्योहार का आयोजन होता है। देश के किसी भी सरकारी एग्जाम में इससे संबंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। तो चलिए जानते है इस खबर के माध्यम से प्रदेश में कहा और कब कौन सी मेले का आयोजन होता है।

देखें मेले का लिस्ट

बाड़मेर का मेला – यहां (1) कजली मेला – गोपीनाथ गढ़ (बाड़मेर) में लगता हैं। यह मेला अश्विन माह के सर्द नवरात्र के पहले दिन से शुरू होता है। यहां लोगों की भीड़ मेला के शुरू वाले दिन से ही जुटने शुरू हो जाते हैं।

(2) मल्लीनाथ पशु मेला – तिलवाड़ा (बाड़मेर)- यह मेला चैत्र कृष्ण एकादशी से शुरू होता है। यह मेले विशेष कर पशुवों के लिए आयोजन होता है।

(3) सुईया मेला – चौहटन ( बाड़मेर )

यह मेला पौष अमावस्या को लगता है। इस मेले का आयोजन चार साल में एक बार होता है। जिस वजह से इसे अर्द्धकुंभ भी कहा जाता है।

(4) बसंत मेला – सीणधारी ( बाड़मेर )

यह मेला मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीय को लगता है।

(5) कनाणा मेला – कनाणा (बाड़मेर )

यह मेला हर वर्ष शीतलाष्टमी के दिन लगता है।
इस मेले में गैर नृत्य का आयोजन किया जाता है।

(6) नाकोड़ा मेला – नाकोड़ा (बाड़मेर)

यह मेला पौष कृष्ण दशमी को लगता है।

अजमेर का मेला

(1) पुष्कर का मेला – पुष्कर ( अजमेर )

यह मेला कार्तिक शुक्ल एकादशी से लगता है, जो पूर्णिमा तक चलता है। इस मेले को राजस्थान का सबसे बड़ा और सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों का आगमन वाला मेला बताया जाता है।

(2 ) बादशाह मेला – ब्यावर ( अजमेर )

इस मेले का आयोजन फाल्गुन माह के पूर्णिमा तिथि को लगता है।

जयपुर के मेले –

(1) बाणगंगा का मेला – विराटनगर ( जयपुर )

इस मेले का आयोजन वैशाख पूर्णिमा को किया है।

(2) शीतला माता का मेला – चाकसू ( जयपुर )

यह मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी को लगता है।

(3) संत दादू का मेला – नारायणा ( जयपुर)

यह मेला आश्विन शुक्ल नवमी को लगता है।

(4) तीज का मेला – जयपुर

यह मेला श्रावण शुक्ल तृतीय को लगता है।

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