Wednesday, October 30, 2024

Diwali 2024 Date: दिवाली और छठ के लिए कराना है टिकट बुक, जान लें कब है त्योहार

जयपुर : इंडिया में होली के बाद कोई बड़ा पर्व है तो वो है दिवाली, वहीं बिहार और झारखंड वासियों के लिए महापर्व तो छठ पूजा है। ऐसे में आप भी अपने घर जाने का प्लान कर रहे होंगे और आप भी ट्रेन की टिकट लेने की इंतजार में होंगे तो ये ख़बर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तो चलिए जानते है इस साल दिवाली व महापर्व छठ पूजा कब है?

बिहारियों के लिए छठ पूजा इमोशन की तरह

बता दें कि छठ पूजा ऐसा पर्व है जिससे हर एक बिहारी का इमोशन जुड़ा होता है। वह कही भी रहे लेकिन दिवाली व छठ आते ही उन्हें अपने घर जाना ही होता है। अगर किसी कारण से वो अपने घर नहीं जा पाते है तो उनका दिल जरूर टूटता है। ये जानकारी तो होगी ही कि छठ और दिवाली में ट्रेन की टिकट मिलना कितना मुश्किल होता है। त्योहार नजदीक आते ही लोगों को ट्रेन में टिकट नहीं मिल पाता है। ऐसे में आप अभी ही अपना टिकट बुक कर लें तो आप फ्री माइंड अपने घर त्योहार पर पहुंच सकते है। ऐसे में चलिए जानते है कब हैं दिवाली व छठ।

दिवाली 1 नवंबर दिन शुक्रवार

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या ति​थि को हर वर्ष दिवाली मनाया जाता हैं. इस शुभ दिन के प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं. देश भर में इस साल दिवाली 1 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा.

धनतेरस 29 अक्टूबर दिन मंगलवार

धनतेरस का पर्व दिवाली से एक या दो दिन पहले मनाया जाता हैं. धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी ति​थि को मनाया जाता है. इस पर्व को धन त्रयोदशी पर्व भी कहा जाता हैं. इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।

भाई दूज 3 नवंबर दिन रविवार

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और उसके बाद भाई दूज मनाते हैं. इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा. इस दिन अन्नकूट का पर्व भी मनाया जाता है. इस साल भाई दूज 3 नवंबर दिन रविवार को मनाया जाएगा। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता हैं.

छठ पूजा 7 नवंबर दिन गुरुवार

दिवाली के 6 दिन बाद छठ पूजा का महापर्व मनाया जाता है. बता दें कि पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीना के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा होता हैं. इस साल छठ पूजा 7 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक कहा गया है. क्योंकि इस व्रत में 36 घंटे तक बिना अन्न और जल के उपवास रखा जाता है।

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