Monday, September 16, 2024

Cremation: झालावाड़ जिले में दाह संस्कार के लिए जान खतरे में डालकर जाते ग्रामीण

जयपुर। किसी भी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी अंतिम यात्रा दूसरों के कंधों पर जाती है, लेकिन उस क्या जब शव को अपने कंधे पर ले जाने वाले लोगों की जान ही खतरे में हो। ऐसा ही एक मंजर राजस्थान से सामने आया है। ये मंजर आपको हैरान कर देगा। यह तस्वीरें आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि आज भी प्रदेश में ऐसी भी कोई जगह हैं। जहां व्यक्ति की मौत के बाद उसके शव को सहारा देने वाले को अपनी ही जान खतरे में डालनी पड़ती हो। यह मामला प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

सरकार का सवाल खड़ा होता है

यह भयानक मंजर झालावाड़ जिले से सामने आया है। जहां अंतिम संस्कार के लिए स्वयं की जान जोखिम में डालकर पानी के तेज बहाव वाले खालों और नालों में से लोगों को जाना पड़ता हो। यह व्यवस्था पंचायती राज में खर्च होने वाले उस बजट पर भी सवाल उठाती है, जो सरकार ग्राम पंचायत को देती है। सरकारी व्यवस्थाओं को लेकर उस वक्त प्रश्न खड़े होते हैं। जब जिला प्रशासन पंचायत स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं करती है। जिससे व्यक्ति की मौत के बाद उसकी दाह संस्कार में किसी प्रकार की परेशानी न हो।

दाह संस्कार के लिए कोई रास्ता नहीं

अपने कंधों पर अर्थी उठाए पानी के खाल को पार करते ये लोग झालावाड़ जिले की सुनेल पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सिरपोई के सनोरिया गांव के स्थानीय निवासी हैं। जहां शमशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। यदि बारिश में किसी की मृत्यु हो जाए तो ऐसा लगता है जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा हो। आज जब खेड़ा सिंदुरिया के स्थानीय निवासी कमलाबाई का निधन हो गया तो दाह संस्कार करने के लिए ग्रामीणों को श्मशान तक जाने का रास्ता भी मुहैय्या नहीं हुआ।

Ad Image
Latest news
Related news