जयपुर। पूरे देश में अनंत चतुदर्शी का त्योहार बड़े जोरो-शोरो से मनाया जा रहा है। गणेश उत्सव का यह त्योहार पूरे देश में 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसके बाद 10 दिवसीय उत्सव का समापन आज 17 सितंबर 2024 को अनतं चतुदर्शी के दिन होगा। इन दिन बप्पा अपने घर कैलाश वापस लौट जाएंगे।
अनंत चतुर्दशी के दिन दी जाती है विदाई
अनंत चतुर्दशी से पहले गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। भगवान गणेश भक्तों के बीच खुशहाली लेकर आते है। गणेश चतुर्थी से लेकर 10 दिनों तक देशभर के गणेश मंदिरों के साथ जगह- जगह गणेश पंडाल लगाए जाते हैं। पंडालों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है। इस मौके पर भक्त गणेश जी के कई स्वरूपों को पूजते हैं। 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर भारी मन से बप्पा को विदाई दी जाती है। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
अनंत चतुदर्शी का शुभ मुहूर्त
इस दिन भगवान विष्णु को पूजा जाता है, लेकिन इस दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना भी की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक अनंत चतुर्दशी का त्योहार भाद्रपद माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल चतुर्दशी 16 सितंबर को दोपहर 3:10 से आरंभ होकर और 17 सितंबर को सुबह 11:44 बजे खत्म होगी। अगर आप गणेश चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त के मुताबिक पूजा करना चाहते हैं तो आप सुबह विष्णु भगवान की पूजा कर सकते हैं। जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 6:07 बजे से 7:51 बजे तक है।
अनंत चतुदर्शी की पूजा विधि
गणेश विसर्जन से पहले गणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान उन्हें मोदक और फल का भोग लगााया जाता है। इसके साथ ही मंत्रोच्चारण के साथ बप्पा की आरती उतारी जाती है। भगवान गणेश जी की विदाई की प्रार्थना करें। गणपति जी की मूर्ति को पूजा स्थल से उठाए। बप्पा को भारी मन से विदाई दें और अगले साल फिर आने की कामना करें।