जयपुर: आज से ठीक 36 साल पहले राजस्थान के सीकर जिले के दिवराला गांव में वो भयानक घटना घटी थी, जिसने राजनीतिक भूचाल ला दिया था. हम बात कर रहे हैं देश के आखिरी सती कांड की. जयपुर जिले की 18 वर्षीय रूप कंवर की सती घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
जलती चिता के साथ हुई थी सती
दरअसल, रूप कंवर के पति माल सिंह शेखावत की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन दो दिन बाद उनकी मौत हो गई. इसके बाद 4 सितंबर 1987 को रूप कंवर भी अपने पति की जलती चिता के साथ सती हो गयी.
कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
ऐसा कहा जाता था कि रूप कंवर ने खुद ही सती होने की इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि, बाद में यह बात भी सामने आई कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था। गांव के लोगों पर सती प्रथा को बढ़ावा देने और उसका महिमामंडन करने का आरोप लगाया गया था.
तत्कालीन सीएम को देना पड़ा था इस्तीफा
इस मामले में राजनीतिक जगत में भी हड़कंप मचा था. जिस वजह से राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरदेव जोशी को इस्तीफा देना पड़ा। 37 साल बाद अबजाकर सती निवारण न्यायालय की विशेष अदालत का बड़ा फैसला आया है. सभी 8 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. आइए हम जानते हैं कि कैसे रूप कंवर के सती होने की घटना ने हरदेव जोशी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया था.
ये थी देश की आखिरी सती प्रथा
दरअसल, रूप कंवर के पति माल सिंह की मौत के बाद गांव में यह बात फैल गई कि रूप सती होना चाहती है। पति की चिता सजाने के बाद उन्हें सोलह श्रृंगार करके चिता के पास जाने को कहा गया। तब रूप ने अपने पति की चिता की परिक्रमा की और उसके साथ सती हो गयी।इसके बाद उन्होंने रूप कंवर का मंदिर बनवाया और उसकी पूजा करने लगे। यह देश की आखिरी सती घटना थी। जिसके बाद जांच में यह भी पता चला कि रूप कंवर अपनी मर्जी से सती नहीं हुई थी.
45 लोगों पर लगा था आरोप
इस मामले में कुल 45 लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिसमें से 2004 में कोर्ट ने 25 आरोपियों को बरी कर दिया। चार आरोपी अभी भी फरार हैं जबकि कुछ आरोपियों की मौत हो चुकी है।
सीएम हरदेव जोशी ने दिया था इस्तीफा
कहा जाता है कि सती कांड के बाद देश में हंगामा मच गया था. उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री हरदेव जोशी थे। उनकी गिनती देश के शक्तिशाली नेताओं में होती थी क्योंकि वह तीन बार सीएम चुनाव और लगातार 10 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले राज्य के एकमात्र नेता थे।
विपक्ष ने इस्तीफे को लेकर किया था मजबूर
सती कांड के बाद जब विपक्ष का हमला तेज हुआ तो सीएम हरदेव जोशी पर इस्तीफे का दबाव बढ़ने लगा. मामला आलाकमान तक पहुंचा तो केंद्रीय नेतृत्व ने उन पर इस्तीफे का दबाव बनाया. अंततः उन्होंने राजीव गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद शिवचरण माथुर को सीएम बनाया गया.