जयपुर। 2 नवंबर को पूरे भारत में गोवर्धन पूजा को मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजन के मौके पर भरतपुर में पर्व को लेकर लोगों में हर्षोउल्लास है। गोवर्धन पूजा के लिए घर-घर में गोवर्धन बनाया जा रहा है। साथ ही इसकी पूजा को लेकर तैयारी की जा रही है।
गोवर्धन की खास तैयारी
बृज क्षेत्र में इस त्योहार को लेकर खास तैयारी की जाती है। जहां गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और फिर लोग इकट्ठे होकर उसकी विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। इस दिन छप्पन प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं। सब्जी से बने अन्नकूट और कढ़ी से गोवर्धन भगवान को भोग लगाया जाता है। गोवर्धन, जिन्हें गिरिराज के नाम से भी जाना जाता है। इनकी परिक्रमा 7 कोस या 21 किमी की है। गिरिराज महाराज की 21 किमी में से डेढ़ किमी परिक्रमा राजस्थान के डीग जिले के पूछरी गांव में आती है।
परिक्रमा का तरीका
गोवर्धन पूजा के अवसर पर गिरिराज जी के दर्शन और परिक्रमा के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं यहां आते है। श्रद्धालु गिरिराज महाराज, कान्हा और राधा के जयकारे लगाते है। जयकारे लगाते हुए 21 किमी की यात्रा पूरी कर गिरिराज जी की परिक्रमा पूरी करते हैं। भक्त इस परिक्रमा को कई तरीके से पूरी करते हैं। कभी पैदल चलकर, दुग्ध कलश के साथ, तो कभी नली से दूध प्रवाह के साथ। ऐसे में कई भक्त कठिन परिक्रमा दंडवत के जरिए पूरी करते हैं।
रास्ते के प्रमुख स्थल
भक्तग अपनी पूरी परिक्रमा दंडवत ही पूरी करते हैं। गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। गोवर्धन पर्वत को योगेश्वर भगवान कृष्ण का साक्षात रुप माना गया है। मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थल गोविन्दकुंड, आन्यौर, श्रीनाथजी, पूंछरी का लौठा, मुकुट मुखारविंद, कुसुम सरोवर, दाऊजी महराज, जतिपुरा राधाकुंड, दानघाटी और मानसी गंगा आदि है।