A view of the sea

नागा साधु जिंदा रहते हुए अपना पिंडदान कर देते है।

नागा साधुओं के मरने पर उनका दाह संस्कार नहीं किया जाता।

साधुओं की मृत्यु के बाद उनकी समाधि लगाई जाती है, उन्हें जलाया नहीं जाता।

शरीर को जलाने पर पाप पड़ता है, क्योंकि वह पहले ही अपना पिंडदान कर देते हैं।

समाधि से पहले शरीर को स्नान कराया जाता है।

स्नान के बाद मंत्रों के उच्चारण के साथ उन्हें समाधि दी जाती है।

मृत होने पर उनके शरीर पर भस्म लगाई जाती है।

भस्म लगाने के बाद भगवा रंग का कपड़ा डाला जाता है।

समाधि देने के बाद जगह पर सनातन का चिन्ह बनाया जाता है।

Read More