जयपुर: भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी का राजस्थान से खास रिश्ता था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए राजस्थान को भी अपनी आंदोलनों का अंश बनाया। उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान राज्य का कई बार दौरा किया। जिससे वहा के लोगो एवं वहा के संस्कृति से काफी प्रभावित हुए। आपको बता दें कि बापू के राजस्थानी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ भी नजदीकी लगाव था।
राजस्थान से विशेष संबंध
राष्ट्रपिता गांधी का राजस्थान से महत्वपूर्ण लगाव था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी जी ने कई महत्वपूर्ण चरणों में किला नगरी को अपनी आंदोलनों का भाग बनाया। उनके राजस्थानी लोगों के साथ एक अलग तरह का रिश्ता था.
चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत
राष्ट्रपिता के सत्याग्रह आंदोलनों में से एक 1917 में बिहार के चंपारण जिले में आयोजित हुआ जिसे हम चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के नाम से जानते है, लेकिन बता दें कि इस सत्याग्रह आंदोलन में राजस्थान के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने हिस्सा लिया था. भारत को आजादी दिलाने के क्रम में गांधी ने अपने पुरे जीवन काल में कई बार जेल की चार दीवारों में बंद रहे, वहीं उनको कई बार राजस्थान के अलवर और बांसवाड़ा जिले के जेल में भी रहना पड़ा था। तमाम जानकारी उनकी बायोग्राफी से पुष्टि की गई है.
उदयपुर से रिश्ता खास
महात्मा गांधी ने उदयपुर, राजस्थान में आयोजित हुए 1920 में अखिल भारतीय कांग्रेस सत्र में हिस्सा लिया था, जिसमें गांधीजी ने अपने आदर्श और विचारों का प्रचार-प्रसार किया। वहीं दूसरी तरफ 1940 में बाड़मेर जिले में हुए सत्याग्रह में लोगों ने हिस्सा लिया और स्वतंत्रता संग्राम का सहयोग किया।
आदर्शों और संदेशों का राजस्थान में प्रचार
बापू के आदर्शों और संदेशों का प्रचार-प्रसार राजस्थान में भी किया गया और वहां के लोगों के समीप स्वतंत्रता संग्राम की भावना को प्रचार-प्रसार द्वारा और मजबूत किया। इसलिए, आज भी कहा जाता है कि राजस्थान से महात्मा गाँधी का संबंध रहा और स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
खास जानकारी
आपको बता दें कि इस बार 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर स्कूलों में छुट्टी नहीं होगा। गाँधी जयंती को भी अब 15 अगस्त और 26 जनवरी की तर्ज पर सभी स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, और इस दिन को अब उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
हालांकि नई दिल्ली में गांधी जी का सफाया 30 जनवरी, 1948 को एक हिंदू कट्टरपंथी द्वारा कर दी गई थी। किन्तु उनके दुनिया छोड़ने के पश्चात भी लोग उनके विचार और सिद्धांत पर जीवित हैं। बता दें कि गाँधी जी आज भी दुनिया के लाखों लोगों के लिए प्रेणादायक है.
बापू के जीवन से सीख
हमलोगो को इनके जीवन से कई सिख मिलते है, वह हमें बताते है कि
- हिंसा मत करो,अहिंसा की मार्ग पर कायम रहो
- सम्मान का भावना हमेशा अपने अंदर जीवित रखो
- शांति और सद्भाव के लिए हमेशा अपने कामो में लगे रहो
- सत्य और अहिंसा का मार्ग ही जीत दिला सकती है.
राष्ट्रपिता गांधी जी के विचार और सिद्धांत दुनिया के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। दुनिया में शांति और सद्भाव रखने के लिए हमें गाँधी जी के विचारों और सिद्धांतों का अनुसरण करना जरुरी है.