जयपुर। देशभर में दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। आज (मंगलवार) बड़े धूम-धाम से देश भर में विजयादशमी का त्योहार मनाया जा रहा है। राजस्थान के कोटा के दशहरा मैदान में इस अवसर पर असत्य पर सत्य की विजय के रूप में विशालकाय रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा तो वहीं शिक्षा नगरी कोटा में आज जेठी समुदाय के लोग मिट्टी से बने दशानन के अहंकार को पैरों तले रौंदेगा।
जयकारों के बीच रावण से लड़ते कुश्ती
बता दें कि राजस्थान में रावण के अहंकार को जेठी समाज पैरों तले रौंदने कि पौराणिक परम्परा को वर्षो से विधि-विधान तरीके से मनाते आ रहे है। कोटा में पौराणिक परम्परा के अनुसार किशोरपुरा और नांता इलाके स्थित जेठी समाज के अखाड़े में मिट्टी का रावण बनाकर दशहरे पर पहलवान जय श्री राम के नारे के साथ रावण से कुश्ती लड़ते हैं। वहीं रावण को कुश्ती में हरा कर वध करते हैं और इस मौके पर अखाड़े में मौजूद सभी छोटे- बड़े पहलवानों की ख़ुशी देखने योग्य होता है।
समाज की यह रियायतकालीन परम्परा
कोटा किशोरपुरा समाज के ईश्वरलाल जेठी ने बताया है कि समाज की यह वर्षो पुरानी पौराणिक परम्परा है। इस अवसर पर नवरात्र के पहले दिन अखाड़े की मिट्टी को एक जगह जमा कर रावण का प्रतीकात्मक रूप से बनाया जाता है। बता दें कि इस प्रतीकात्मक रूप पर ज्वारे उगाए जाते हैं। नौ दिन तक परिसर में विशेष कार्यक्रम चलता है। इस अवसर पर गरबा का भी आयोजन होता है। नवरात्रि के नवमी पर माता लिम्ब्जा मंदिर में हवन पूजा के साथ फलों का भोग समर्पित किया जाता है। वहीं दशहरे पर अखाड़े के पहलवान दशानन से युद्ध करते हैं और इस दौरान रावण को पैरों तले रौंदकर उसके अहंकार को मिट्टी में मिलाते है। इसके पश्चात् प्रशाद बांटा जाता है।
ज्वारे खुशहाली का प्रतीक है
राजस्थान में नवरात्रि के पहले दिन रावण रुपी प्रतिक पर ज्वारे उगाए जाते हैं। बता दें कि नवरात्रि के दौरान इन ज्वारों को खुशहाली का प्रतिक माना जाता है। बताया जाता है कि अगर ज्वारे हरे भरे उगते है तो घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है। रावण पुतला दहन से पहले ज्वारे भगवान को चढ़ाया जाता है और आपस में बांटा भी जाता है। इस दौरान लोग एक दूसरे को दशहरे की शुभकामनाएं भी देते है।