Friday, October 18, 2024

Vijayadashami: 184 साल से मौजूद है रावण का परिवार, प्रसाद के रुप में बांटे जाते है मंदोदरी के वस्त्र

जयपुर। राजस्थान में झालावाड़ जिले में एक ऐसी जगह है। जहां रावण का अस्तित्व आज भी मौजूद है। रावण का पूरा कुनबा आज भी मौजूद है। रावण का यह कुनबा आज से 184 साल पहले सन् 1840 में यहां स्थापित किया गया, जो आज भी यहां रहता है।

रावण का विधि-विधान से वध

यहीं पर रावण का दरबार लगता है, और यहीं पर 184 वर्षों से विजयदशमी वाले दिन रावण का विधि-विधान से वध से किया जाता है। खास बात यह है कि यहां रावण के अलावा कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं। रावण के इस कुनबे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। नेशनल हाइवे से गुजरने वाले लोगों की नजर जब सड़क किनारे खड़े इस रावण के कुनबे पर पड़ती है, तो भी उन्हें देखने के लिए रुक जाते हैं।

दरबार और पुतले मिट्टी से तैयार

इस रावण दरबार की स्थापना झालावाड़ के तत्कालीन नरेश महाराजा मदन सिंह ने साल 1840 में की थी। उस समय दरबार और पुतले मिट्टी से तैयार किए जाते थे। जिनको संभाल कर रखा जाता है। उसके बाद साल 1920 में झालावाड़ के नरेश महाराजा भवानी सिंह ने यहां मरम्मत का कार्य करवाया। इन पुतलों को पक्का बनवा दिया गया। तभी से यहां हर साल रंगने और रखरखाव का काम किया जाता है। जिसकी वजह से यह संरचना सकुशल आज भी मौजूद है।

बीमार लोग ठीक होते हैं

बीमारियों और जादू टोने से परेशान लोग यहां आकर पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग किसी भी प्रकार की बीमारी और जादू टोने से ग्रसित है, वह यहां आकर पूजा करते है, तो लाभ मिलता है। वह जल्दी ही ठीक हो जाते है। यहां पर प्रसाद के रुप में मंदोदरी के वस्त्र दिए जाते है। पुतले पर मंदोदरी के वस्त्र पहनाए जाते है। जिसको फाड़कर लोगों में बांटा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदोदरी के वस्त्र रखने से घर में समृद्धि आती है।

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