जयपुर: लोकसभा चुनाव के लिए सियासी घमासान मचा हुआ है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने पार्टी उम्मीदवार को जीताने की होड़ में दिख रहे हैं। प्रदेश के सभी 25 लोकसभा सीटों पर अलग-अलग सियासी मायने है। ऐसे में प्रदेश के कुछ सीट हैं जो वीआईपी क्ष्रेणी में शामिल है। तो आइये जानते हैं इन सीटों पर कौन बनेगा विनर और कौन बनेगा रनर अप।
ये हैं वह सीट जहां मची हैं हलचल
प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों में कुछ सीट ऐसी हैं, जहां पर मुकाबला अधिक दिलचस्प बना हुआ है। इन सीटों के अपने अलग-अलग सियासी मायने हैं। इस बार हो रहे आम चुनाव में इन सीटों पर मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है। हॉट सीटों में जोधपुर, कोटा, चूरू, झुंझुनू, बाड़मेर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, नागौर, दौसा, टोंक, सवाई माधोपुर और सीकर लोकसभा सीट शामिल हैं। अगर हम बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस पार्टी से अधिक यहां उम्मीदवार के चेहरे पर दारोमदार है। हालांकि भाजपा मोदी और संगठन के दम पर चुनावी मैदान में उतरी है। इस बीच चर्चा में हैं कि कौन बनेगा विनर और किसकी होगी हार। हालांकि इसका खुलासा 4 जून को चुनावी परिणाम आने के बाद पता लगेगा। तो जानते हैं प्रदेश के कुछ सीट की क्या हैं सियासी समझ।
सीकर सीट की सियासी गणित
बता दें कि प्रदेश की हॉट सीटों में सीकर लोकसभा सीट भी शामिल है। यहां पर मुकाबला अधिक रोमांचक है, ऐसे में इस सीट पर इंडिया गठबंधन से अमराराम चुनावी मैदान उतरे हैं। भाजपा ने यहां से अपने सिटिंग सांसद सुमेधानंद सरस्वती को टिकट दिया है। अगर बात हम विधानसभा चुनाव की करें तो विधानसभा चुनाव में भले ही सीकर सीट पर कांग्रेस भारी रही है। लेकिन पिछले पांच आम चुनावों की बात की जाए तो यहां चार बार बीजेपी की कमल खिली है। हालांकि सीपीएम का यहां अपना वोट बैंक है, लेकिन कांग्रेस का वोट भी अगर उन्हें मिल जाता है तो मुकाबला अधिक दिलचस्प होगा।
नागौर सीट की चुनावी समीकरण
प्रदेश के हॉट सीट में शामिल नागौर सीट पर कांटे का मुकाबला देखा जा रहा है। आरएलपी से हनुमान बेनीवाल इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। बेनीवाल साल 2019 में हुए आम चुनाव में भाजपा गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर सांसद चुने गए थे। हालांकि इस साल हो रहे लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नागौर सीट से ज्योति मिर्धा को टिकट दिया है, ज्योति मिर्धा पहले कांग्रेस में थीं। भाजपा ने नागौर सीट पर अपनी मजबूती के लिए यहां के कांग्रेस के कई नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। पिछले पांच लोकसभा चुनाव में से भाजपा यहां दो बार अपना कमल खिला चुकी है। एक बार भाजपा के समर्थन से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल जीते और दो बार कांग्रेस।
कोटा सीट का सियासी समझ
कोटा सीट का सियासी गणित अधिक मजेदार है। इस सीट पर भाजपा के बागी नेता प्रहलाद गुंजल इस बार कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतरे हैं। ऐसे में उनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार ओम बिरला से है। बता दें कि ओम बिरला 2003, 2008, 2013 का विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। 2014 और 2019 के आम चुनाव जीतने के बाद बिरला 2024 में जीत की हैट्रिक लगाने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में प्रहलाद गुंजल भी हाड़ौती दिग्गज नेता कहे जाते हैं। गुंजल की छवि एक तेज तर्रार और महान नेता की है। लेकिन इस सीट पर जीत उसी की होती है जो भीतरघात से निकलना जानता हो।