जयपुर। देश में आज बुद्ध पूर्णिमा का पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। श्रद्धालु सवेरे से ही गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। काशी और प्रयागराज में गंगा के घाटों पर सवेरे से ही भक्तों का जमावड़ा रहा। गंगा में डुबकी लगाने का सिलसिला अभी जारी है।
क्यों मनाते है बुद्द पूर्णिमा
बता दें कि बौद्द सामुदाय के लोगों के लिए यह बड़ा दिन माना जाता है। बुद्द पूर्णिमा यानी वैशाखी के तौर पर मानाए जाने वाले इस दिन को गौतम बुद्द का निर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्द को ज्ञान प्राप्त हुआ था। कहते है इसी दिन बुद्द का जन्म हुआ था।
बुद्ध पूर्णिमा की दान-स्नान विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह उठकर सबसे पहले उठकर स्नान करे। जल को सिर पर लगाकर पहले प्रणाम करें। स्नान करने के बाद सुर्य को अर्घ्य दे। साफ व सफेद कपड़े पहने। फिर मंत्रों का जाप करे। मंत्र जाप के पश्चात सफेद वस्तुओं व जल का दान करें। हो सके तो इस दिन उपवास कर ले। जिसमें केवल फल व जल को ग्रहण को ग्रहण करे। आज के दिन गरीबों और जरुरतमंदों को अपने अनुसार दान करे।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
वैशाखी पूर्णिमा के दिन ही श्री हरि ने कच्छप का रूप लिया था। आज के ही दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।बुद्ध पूर्णिमा(Budh purnima) के दिन बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इसके साथ निर्वाण की भी प्राप्ति हुई थी। वैशाखी पूर्णिमा के दिन अराधना एवं दान-पून्य करने से भगवान विष्णु विशेष की कृपा बनी रहती है। चंद्रमा मजबूत होता है। जीवन की सभी परेशानी दूर होती है। आज के ही दिन भगवान विष्णु के अलावा शिव जी की पूजा करने से शरीर के सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसी दिन शिवालयों में भगवान शिव को जल से मग्न किया जाता है।