कोटा। राजस्थान के कोटा शहर में भारत सरकार एवं राजस्थान सरकार के सहयोग से कृषि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा हैं। इस महोत्सव में 75 स्टार्टअप्स आये हैं। इन स्टार्टअप्स में न सिर्फ नए-नए उपकरण शामिल किए गए हैं बल्कि लोगों का इनोवेशन भी झलक रहा हैं। परंपरागत खेती को आधुनिकता के साथ कैसे समावेश किया जाता हैं, वो आपको कोटा के कृषि महोत्सव में देखने को मिलेगा। इस महोत्सव में कोटा,बूंदी और आसपास के किसानों ने नई तकनीक की मदद से फसलों का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए इसकी जानकारी लेने में रूचि दिखाई।
प्रधानमंत्री ने किया था आव्हान
पीएम नरेंद्र मोदी ने पराली की समस्या का समाधान करने का आव्हान किया था, जिसके बाद बिहार के मुजफ्फरपुर से आए 21 वर्षीय आशुतोष और जिज्ञाशु ने मशरूम का ऐसा उन्नत किस्म का बीज तैयार किया जो पराली में बोये जाने के दस दिन बाद तैयार होता हैं। 100 वर्गफीट क्षेत्र में उगाए गए साधारण मशरूम से 10 हज़ार जबकि औषधीय उपयोग वाले मशरूम से 20 हज़ार प्रति फसल आय प्राप्त किया जा सकता हैं। उसके बाद पराली और मंदिर में उपयोग किये गए फूलों को मिलाकर उससे बायो सीएनजी बना सकते हैं। ऐसा करके आप अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।
पानी की कमी हो जाएगी दूर
वहीं, राजसमंद के कृषि इंजीनियर पूरण सिंह राजपूत ने फलों के छिलकों से ऐसा जेल तैयार किया हैं, जो अपने भार से सौ गुना पानी सोखकर उसे धीरे- धीरे रिलीज़ करता हैं। ऐसा करने से मिट्टी में नमी बनी रहती हैं। ऐसे क्षेत्र जहाँ पानी की कमी हैं, उन इलाकों में यह काफी मददगार हैं। 5 किलों का एक बैग जेल पंद्रह सौ रूपये का पड़ता हैं, जो एक एकड़ में बोये हुए फसल के लिए पर्याप्त हैं। एक बार किसानों द्वारा इसका उपयोग करने से उन्हें दो से तीन बार कम पानी पिलाना पड़ता हैं। इससे न सिर्फ बचत होती हैं बल्कि श्रम भी कम करना पड़ता हैं।
नीलगायों से सुरक्षा का इंतजाम
महाराष्ट्र के अहमद नगर बेस्ड स्टार्टअप पेस्टामेटिक कंट्रोल्स के फाउंडर अविनाश ने एक विशेष वाइल्ड एनिमल रेपलेंट तैयार किया हैं। इसको पानी में मिलाकर खेतों की मेढ़ के पास छिड़क दिया जाता हैं, जिससे वन्यजीव फसलों को हानि नहीं पहुंचा पाते हैं। इससे सांप-बिच्छू आदि भी खेतों के अंदर नहीं प्रवेश कर पाते।
खेत से सीधे घर पहुंचा रहे अनाज
हनुमानगढ़ निवासी परीक्षित ने किसान ट्रीट नामक ऐप बनाया हैं। इससे वो किसानों की सहायता से लोगों की पसंद का अनाज सीधे उनके घरों तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल उनके साथ 12 हज़ार से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। वहीं फसल को मंडी में बेचने में परेशानी न हो इसके लिए अपना गोदम नाम का ऐप भी हैं। यह ऐप किसानों को भण्डारण और भंडार में रखे गए अनाज पर ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता हैं।