जयपुर। आजादी के 75 साल बाद भी राजस्थान में कई गांव ऐसे है जो भारी बारिश में डूब जाते है। बारिश में गांव वाले भगवान प्रार्थना करते है कि गांव में किसी की मौत ना हो। इसकी बड़ी वजह है श्मशान घाट तक रास्ता न होना। इन्हीं गांवों में से एक है अजमेर जिले की पंचायत समिति क्षेत्र किशनगढ़ की ग्राम पंचायत सरगांव का। जहां अंतिम संस्कार का रास्ता इतना मुश्किल है कि श्मशान घाट में जाने के लिए सीवरेज लाइन के गंदे पानी से भरे नाले से शव लेकर लोगों को जाना पड़ता है।
गंदे पानी में से गुजरा रास्ता
ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या 3 साल पहले सीवरेज लाइन का पानी आने के कारण पैदा हुई थी। ग्रामीणों ने पूर्व विधायक व ग्राम पंचायत प्रशासन को अनेक बार ज्ञापन देकर इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की थी, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। सीवरेज लाइन का पानी और बरसात का पानी मिलाकर दोगुना हो जाता है और इस समय अगर गांव में कोई अनहोनी हो जाए तो श्मशान तक जाने वाले दोगुने पानी में से होकर सफर तय करना पड़ता है। ऐसा ही मामला रविवार को घटा। जब गांव के पूसाराम हाकला नाम के एक मौत हो गई। जिसको लेकर श्मशान घाट जाने के लिए सीवरेज लाइन व बरसात के पानी में से लोगों को गुजरना पड़ा।
समस्या का निवारण नहीं
गांव में और भी श्मशान घाट है परंतु हाकला गौत्र के श्मशान घाट व एक-दो अन्य जातियों के श्मशान घाट उक्त नाले के किनारे या नाले के मध्य स्थित है। इस संबंध में पूर्व सरपंच गोविंदसिंह राजपुरोहित का कहना है कि सीवरेज लाइन के पहले यह समस्या नहीं थी। बरसात का पानी तो तालाब भरने के बाद ही उस नाले की तरफ बढ़ता था लेकिन 3 साल पहले सीवरेज लाइन का पानी उक्त नाले में आने के बाद समस्या पैदा हो गई। जिसको लेकर पूर्व विधायक समेत प्रशासन को भी ग्रामीणों ने कई बार ज्ञापन दिए परंतु समस्या का कोई समाधान नहीं निकला।