जयपुर। राजस्थान के दौसा जिले का सबसे बड़ा एवं एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डेम मोरेल बांध 5 साल बाद एक बार फिर से पानी से भर गया। मोरेल बांध पर चादर चलने के बाद लालसोट उपखण्ड के साथ सवाई माधोपुर जिले की बौली, मलारना डूंगूर, बामनवास समेत कई तहसीलों के लोगों की खुशी का ठिकाना नही रहा। बांध पर चादर चलने की सूचना से लोग काफी खुश हो गए। बांध में बढ़े पानी के स्तर को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां जा पहुंचे।
पानी के स्तर में बढ़ोत्तरी
प्रशासन व पुलिस ने तेजी दिखाते हुए किसी भी दुर्घटना की संभावना को देखते हुए लोगों को बांध से दूर ही रखा जा रहा है। जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना का कहना है कि मोरेल बांध का जल स्तर बुधवार सुबह तक बीते 12 घंटों में करीब एक फीट बढकर 30 फीट तक पहुंच गया था। इसके बाद सुबह करीब 10 मोरेल बांध का जलस्तर पर अपने पूरे भराव पर यानी 30 फीट 5 इंच तक पहुंचा गया। ठीक 10.30 बांध पर चादर चलने लगी। शुरुआत में मोरेल बांध पर लगभग 2 इंच की चादर चली थी,जो बढ़कर दोपहर में ही 6 इंच तक जा पहुंची।
जल स्तर में और वृद्धि की संभावना
उन्होंने बताया कि मोरेल नदी में फिलहाल 4 फीट पानी बह रहा है, जिसके चलते आने वाले दिनों में बांध पर ढाई फीट तक की भी चादर चलने की संभावना जताई गई है। जयपुर क्षेत्र में हो रही जोरदार बारिश के चलते 2019 की तरह इस वर्ष तक करीब एक से दो महीने तक चादर चल सकती है। मोरेल बांध पूरा भरने पर जल संसाधान विभाग के जूनियर इंजीनियर अंकित कुमार मीना ने बांध के किनारे मौजूद पीर बाबा की मजार पर चादर चढाई और शांति के लिए दुआ मांगी। मोरेल बांध पर इससे पहले साल 2019 में करीब 21 साल के लंबे इंतजार के बाद चादर चली थी।