Monday, September 30, 2024

Shocked: डॉक्टरों के उड़े होश, मां के पेट से गायब हुआ बच्चा

जयपुर। भारत-पाक की सीमा पर स्थित बाड़मेर के एक निजी अस्पताल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां डिलीवरी का एक केस देखकर डॉक्टरों की टीम के भी होश उड़ गए। डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों ने पाया की महिला की बच्चेदानी से बच्चा ही गायब हो गया है। ऐसा केस करोड़ो डिलीवरी में से एक होता है।

गर्भाशय के बाहर बच्चा ठहरता है

यदि गर्भाशय के बाहर बच्चा ठहरता है और बच्चा 8 महीने तक जिंदा रहता है, तो इसे एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी कहा जाता है। ऐसा ही एक केस बाड़मेर के चौहटन तहसील के बींजासर से सामने आया है। जहां की स्थानीय निवासी लीला देवी की अचानक तबियत बिगड़ने से उसे चौहटन के एक अस्पताल से जिला मुख्यालय के शिव अस्पताल लाया गया। जहां ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की टीम के सामने एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का केस आया।

लीला का ऑपरेशन किया

ऐसा केस करोड़ो महिलाओं में से किसी एक के साथ होता है। ऐसे में अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मंजू बामनिया ने डॉक्टर स्नेहल कटुडिया और डॉक्टर हरीश सेजू की सहायता से लीला का ऑपरेशन किया। इस तरह के केस में मां की जान बचाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में डॉक्टरों की टीम ने बेहद बारीकी से ऑपरेशन को अंजाम देकर लीला की जान बचा ली। अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर मंजू बामनिया ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अगर गर्भाशय के बाहर बच्चा ठहरता है और बच्चा 8 महीने तक जीवित रहता है, तो उसे एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी कहा जाता है।

लाखों में से एक केस

इस तरह के मामले भी लाखों में से किसी एक का होता हैं। इसी के एक अन्य प्रकार, जिसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। यह डिलीवरी का बेहद दुर्लभ और असामान्य प्रकार है। लीला का केस भी इस तरह का था। जिसे समय रहते डॉक्टरों ने बचा लिया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी, लेकिन बाड़मेर के डॉक्टरों ने मेहनत कर मां की जान को बचा लिया।

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